शराब का वो नशा ही क्या,
तभी तो शाम के बाद ज़ुबान पर वो जाती है....
नशा तो इस चाय का है,
जो भीड़ टपरियों पर,
सुबह से ही हो जाती है
और एक प्याला ही बस शराब का,
बरसों के गम को याद कराती है,
लेकिन दिन भर की थकन को
बस एक कप चाय ही मिटा पाती है।
सुप्रभात 🙏
-Akash Saxena