पहले हमसे दोस्ती करके; राज़ जानकर
फिर बाद में वो ही हम डराते है
अनजानो पर भरोसा नहीं किया करते..
होते भी कुछ और; दिखाते भी कुछ और
हमारी पीठ पीछे वो ही खंजर भोकते है
अनजानो पर भरोसा नहीं किया करते..
पहले तो अच्छी - भली बातें करते है
फिर वो ही मजबूरी का फायदा उठाते है
अनजानो पर भरोसा नहीं किया करते..
रिश्ता तो वो दोस्ती का जताते है
मगर हकीक़त में तो दुश्मनों में रहते है
अनजानो पर भरोसा नहीं किया करते..
दिखावा यही रहता है कि वो हमारे साथ है
जूठे वादे करके वो ही हमें डुबाते है
अनजानो पर भरोसा नहीं किया करते..
-Parmar Jagruti