उम्र गुजर रही मगर
जीवन ठहर सा गया है
एक तेरे ना होने से
सब थम सा गया है
तेरे साथ गम भी हम
खुशियों में बदल लेते थे
एक तेरा हाथ थामकर हम
गिरकर भी संभल जाते थे
आंखे पत्थर हो गई हैं
दिल बंजर सा हो गया है
वक़्त के साथ मेरा
सब कुछ बदल सा गया है
-अनुभूति अनिता पाठक