चंद सिक्कों को उछालो तो
घनघनाहट का शोर होता है
मिट जाती हैं खामोशियां
जश्नों चमन का दौर होता है
मुश्किलों से मिलती है राहते सुकून
काफिले जिन्दगी में
शोहरत का सवेरा होने के पहले
संघर्ष का अंधेरा घनघोर होता है
काबलित की लाठी साहस की शमशीर
मंजिलों तक पंहुचने में हौसलों का ज़ोर होता है
-Satish Malviya