"एक कड़वा सच "
एक ऐसा दर्द जो शायद बयान
किया जाये
जब लड़किया अपने मायके जाती हैँ
तो मम्मी कहती हैँ
बेटा सामान सब रख लिया
कुछ रह तो नहीं गया, पिछले बार भी रह गया था, इस बार याद से सब रख लेना!
भाई कहते है वाह बाबू कब आयी, मज़ा आएगा, मस्ती करेंगे, दिल बहुत खुश होता हैँ, फिर कुछ देर में पूछते हैँ, कब का टिकट हैँ रहेगी ना कुछ दिन, उस पल लगता हैँ दिल रोता हैँ हमारा !हाथो की उँगलियों पर दिन रख कर मायके आते हैँ और फिर दिल दुखता हैँ
पड़ोस की आंटी आती हैँ
देख बहुत खुश होती हैँ
मम्मी से पूछती हैँ कब आयी बेटी
क्या बेटा चाये तो पिलाओ
चाये के लिए किचन की और जाती हूँ
फिर सवाल होता हैँ कब तक हो मम्मी के पास
फिर दिल दुखता हैँ
ये कैसी है रीत
जिसमे सवालों के ढेरो में रहते हैँ हम
अब बस भी कर दे दिल दुखाना हमारा
ऐसी रीत जो दिल दूखाये
ऐसी रीत ही क्यू हैँ बनाना
अब तो आलम यह हैँ के मायके जाओ तो अब हमारा बैग की हमसे पूछता हैँ कब तक रहना हैँ
सच मुझे अपना घर याद
आता हैँ
जिसमे कोई बंदिशे नहीं, कोई सवाल नहीं होते थे, बस प्यार प्यार और सिर्फ प्यार होते थे
miss you
-SARWAT FATMI