पंक्ति बद्ध होती कविता
पन्ने पर छपती कविता
स्कूलों में गूंजती कविता
मैं सुनता
वह लबों से पढ़ती कविता
न्याय संविधान का हास देख
सत्ता को मुंह चिड़ाती कविता
धूल जमी किताबों में
कवि की काल्पनिक कविता
वह फूलों की पंखुड़ियों पर लिखी
दिलकश आशिकों की जीवंत कविता
सुबह की तितलियों के संग
आंगन में नाचती कविता
सुनहरी धूप में
साइकिल पर जाती कविता
वह बेंच पर बैठी कविता
और कविता के गोद में रखी कविता
ना चाहते हुए भी सब कुछ कहती कविता
आखिर कौन है यह कविता ?