कालाष्टमी को काला अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है और
हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दौरान इसे मनाया जाता है।
कालभैरव के भक्त साल की सभी कालाष्टमी के दिन उनकी पूजा
और उनके लिए उपवास करते हैं।
सबसे मुख्य कालाष्टमी जिसे कालभैरव जयन्ती के नाम से जाना
जाता है, उत्तरी भारतीय पूर्णिमान्त पञ्चाङ्ग के अनुसार कालभैरव जयन्ती को भैरव अष्टमी के नाम से भी
जाना जाता है।
कालाष्टमी तिथि
11 अगस्त 2020
कालाष्टमी प्रारम्भ - सुबह 9 बजकर 06 मिनट से
कालाष्टमी समाप्त - अगले दिन सुबह 11 बजकर 16 मिनट तक
कैसे करें पूजा
स्नान-ध्यान के बाद भगवान भैरव के मंदिर में जाकर अबीर,
गुलाल, चावल, फूल और सिंदूर चढ़ाएं। भगवान भैरव की
कृपा
पाने
के लिए नीले फूल अवश्य चढ़ाएं। निश्चित रूप से भैरव कृपा होगी
और मनोकामना भी पूरी होगी।
चढ़ाएं नींबू की माला
मान्यता है कि काले उड़द, काले तिल और 11 रुपए काले कपड़े
में रखकर भगवान भैरव को अर्पित करने से इस दिन शरीर की सारी
नकारात्मकता दूर हो जाती है। कहते हैं कि कालाष्टमी के दिन
भगवान भैरव को नींबू की माला चढ़ाने से मनोवांछित फल की प्राप्ति
होती है।
चमेली का तेल और सिंदूर करें अर्पित
कालाष्टमी पर इस तरह पूजा करने से भैरव बाबा भक्त को जीवन
में अपार धन, यश और सफलता देते हैं।मान्यता है कि तमाम तरह के
कष्टों से मुक्ति और कालभैरव भगवान की कृपा पाने के लिए
कालाष्टमी के दिन किसी मंदिर में जाकर काजल और कपूर का दान
करें। धन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए कालाष्टमी के दिन
भगवान भैरव के मंदिर में जाकर चमेली का तेल और सिंदूर अर्पित
करें।
कालाष्टमी के दिन जरुर करें ये काम
कालाष्टमी के दिन भगवान शिव की पूजा करें, इससे भगवान
भैरव का आशीर्वाद मिलता है।
कालाष्टमी के दिन भैरव देवता के मंदिर में जाकर सिंदूर, सरसों
का तेल, नारियल, चना, चिरौंजी, पुए और जलेबी चढ़ाएं, भगवान का
आशीर्वाद प्राप्त होगा।
काल भैरव जी की कृपा पाने के लिये भैरव देवता की प्रतिमा के
आगे सरसों के तेल का दीपक लगाएं और श्रीकालभैरवाष्टकम् का
पाठ करें।
कालाष्टमी के दिन से लगातार 40 दिनों तक काल भैरव का दर्शन
करें। इस उपाय को करने से भगवान भैरव प्रसन्न होंगे और आपकी
मनोकामना को पूर्ण करेंगे।
भैरव देवता को प्रसन्न करने के लिए काले कुत्ते को मीठी रोटी
खिलाएं, भगवान भैरव के साथ ही शनिदेव की कृपा भी बनेगी।
कालाष्टमी के दिन भूलकर भी ना करें ये काम
काल भैरव जयंती यानी कालाष्टमी के दिन झूठ बोलने से बचें,
झूठ बोलने से नुकसान आपको होगा।
आमतौर पर बटुक भैरव की ही पूजा करनी चाहिए क्योंकि यह
सौम्य पूजा है।
काल भैरव की पूजा कभी भी किसी के नाश के लिए न करें।
माता-पिता और गुरु का अपमान न करें।
बिना भगवान शिव और माता पार्वती के काल भैरव पूजा नहीं
करना चाहिए।
गृहस्थ लोगों को भगवान भैरव की तामसिक पूजा नहीं करनी
चाहिए।
कुत्ते को मारे नहीं। संभव हो तो कुत्ते को भोजन कराएं।
प्रस्तुतीकरण- ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़