आज भी रोई है आँखें बहुत
आज फिर से इन आंखों में आए दर्द को समझा नहीं गया
सोचता भी है मेरे आंसू बहते भी हैं उस शख्स के लिए
जिसे इनकी कद्र नहीं .....
क्यों हर बार मैं ही रुलाई जाती हूं??
या मुझे रोने की आदत पड़ गई है ....
जरा कोई गैर ही समझा दे मुझे कोई ऐब दिख जाए मुझमें तो ,,,
अपनों ने तो मुझे अपने दिल से निकाल दिया
आशियां टूट गया तिनका से प्यार का आशियां बनता नहीं ....
_Manshi K