# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .लिप्त "
** कविता **
दानवता पाप से ,लिप्त होती है ।
मानवता पुण्य से ,लिप्त होती है ।।
बुरे विचार ही ,मानव को दानव बनाते है ।
बुरे कर्म ही मानव ,को नर्क दिलवाते है ।।
मानव ईश्वर का ,रुप भी बन सकता है ।
मानव अधम पापी ,भी बन सकता है ।।
यह मानव के कर्मो ,पर ही निर्भर है ।
उसे कौन सा ,रास्ता अपनाना है ।।
बुराई मानव को ,पाप कर्म पर ले जाती है ।
अच्छाई से मानव ,आँखों का तारा बनता है ।।
बुराई से मानव ,आँखों से गिर जाता है ।
मानव का अहंकार ही ,उसका सर्वनाश करता है ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।