आंसू बह जाने दो।
रोक सके न खुद को
ये आंसू बह जाने दो
प्यास से तड़प रहे है
डूब कर मगर मर जाने दो
गम है जो दिखता नहीं
इस ज़ख्म को आजमाने दो
हम रुके थे इंतजार में,
छोड़ो उन्हें जाने दो।
फ़र्ज़ जो था निभाया हमने
उन्हें अब रूठ जाने दो
खो चुके है सब कुछ
अब जरा आंखें भीगाने दो
रोक सके न खुद को
इन आंसुओं को बह जाने दो।।
अर्जुन बंटी