एक फूल सा मुस्कुराता हुआ
समुद्र सा शांत और पर्वत सा दृढ़
एक दिन कैसे खामोश हो गया
ज़मीं से आसमान तक की सफर कर
अपनी रोशनी से जहां को रोशन कर
एक दिन कैसे जहां से खो गया
अपना अंदाज और अपनी कला की चमक बिखेर कर
सारे जहां में अपनी महक छोड़कर
लोगों के दिलों का दीपक एक दिन कैसे बुझ गया