कब वह वक़्त लौटकर आएगा ?
जिसके साथ तू भी आएगी ?
अब बहुत हुआ यार ,
आखिर कब तक
अपने प्रेमी को
तरसाएगी तू ?
काफी वक़्त हुआ
बेजान पड़े हुए ।
अब तो किसी बहाने से
आ जा मुझे
देखने के लिए ।
पता है और जानता भी हूं
तुझे तेरा हमसफ़र मिल चुका है ।
पर हमें भी मत भूल मेरी जान
तेरी ही वजह से और तेरे ही लिए आज
कबर में दफन हु ।
फूल चढ़ाने के बहाने ही
तू यहां तक आ जा ।
कब वह वक़्त लौटकर आएगा ?
जिसके साथ तू भी आएगी मेरी कबर तक ?
अंकित चौधरी अंत