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अमेरिका की सेना के इतने ज्यादा ताकतवर बनने के पीछे वहां के सरकार के द्वारा लागू किये गए अच्छे कानून का परिणाम है जिन अच्छे कानून को लागू किया उनमे राइट टू रिकॉल , रेफरेंडम इनिशिएटिव, जज और जिला स्तर के अधिकारियों का चुनाव , सामान्य नागरिक को बंदूक रखने का कानून इन सब की वजह से नागरिकों की शक्ति बढ़ती है और देश तकनीकी विकास तेजी से होता है और अंत में सेना सबसे मजबूत बनती है l भारत की सेना को अमेरिका की सेना जितनी मजबूत बनाने के लिए भारत में वोट वापसी पासबुक ,जुरी कोर्ट कानून, रिक्त भूमि कर , खनिज मुनाफा बंटवारा , जनमत संग्रह (रेफरेंडम) इनिशिएटिव प्रिफेशियल वोटिगं सिस्टम, कुर्ग बंदूक कानून जनमत संग्रह आदि लागू करने की आवश्यकता है |यह सभी कानून नागरिकों की शक्ति बढ़ाते हैं और इससे देश का तकनीकी विकास तेजी से बढ़ता है l
जीएसटी रद्द करके रिक्त भूमि कर लागू करने का प्रस्ताव (Proposal to Cancel Gst & levy Empty Land Tax) रिक्त भूमि कर एक प्रस्तावित क़ानून है, जो गेजेट में प्रकाशित होने के बाद Gst की जगह लेगा। रिक्त भूमि कर का ड्राफ्ट भारत की छोटी एवं मझौली निर्माण इकाइयों को प्रोत्साहन देने के लिए लिखा गया है, ताकि हम Made in India Made By Indians की नीति पर चलते हुए विश्वस्तरीय तकनिकी वस्तुओं के उत्पादन की क्षमता जुटा सके। इस क़ानून के गेजेट में आने से निम्नलिखित बदलाव आयेंगे : भारत में बड़े पैमाने पर छोटे और मझौले कारखाने लगने शुरू होंगे, जिससे 1 से 2 वर्षों में बेरोजगारी की समस्या काफी हद तक कम हो जायेगी। 3 से 4 वर्षों के भीतर भारत में तकनीकी वस्तुओं के उत्पादन का आधार तैयार होने लगेगा, और भारत के कारखाना मालिक ऐसी वस्तुएं बनाने की क्षमता जुटा लेंगे जो चीन से सस्ती एवं बेहतर होगी। 5 से 6 वर्षों के भीतर भारत मोबाइल फोन्स, कम्प्यूटर जैसी तकनिकी वस्तुओं का उत्पादन करने लगेगा जिससे अमेरिकी-ब्रिटिश कम्पनियों पर हमारी निर्भरता काफी हद तक कम हो जायेगी। लगभग 7 वर्षों के भीतर भारत की कम्पनियां स्वदेशी तकनीक पर आधारित लड़ाकू विमान, बुलेट ट्रेन, एयर क्राफ्ट कैरियर, ड्रोन जैसी जटिल सैन्य मशीने बनाने की तकनीक जुटा सकती है। तकनिकी उत्पादन बढ़ने से भारत का निर्यात बढ़ने लगेगा और आयात कम होगा। इससे रुपया मजबूत होना शुरू होगा, और हम व्यापार घाटे से बाहर आ जायेंगे। इस क़ानून के आने के 2 से 3 वर्षों के भूमि हीन नागरिको के लिए घर / फ्लेट लेना बेहद आसान हो जाएगा, और बिना किसी सरकारी सहायता के आवास की समस्या 70% तक हल हो जायेगी। यदि आप Gst रद्द करके रिक्त भूमि कर लाना चाहते है तो Pm को पोस्टकार्ड भेजे, और भेजे गए पोस्टकार्ड की फोटो कॉपी अपने पास संभाल कर रखें। पोस्टकार्ड में यह लिखे : #EltRrp , #CancelGst , प्रधानमंत्री जी, कृपया Gst रद्द करके रिक्त भूमि कर क़ानून गेजेट में छापें प्रधानमंत्री जी, कृपया Gst केसिंल करके रिक्त भूमि कर कानून गेजेट मे छापें- #Empty Land Tax #Vote Vapsi Passbook, 23. SPRHYD-2008 पोस्ट ट कार्ड POST CARD प्रधानमंत्री कार्यालय दिल्ली तारीखः 05-01-2019 नामः किशन पिन PIN Do not write or print below this line) वोटर आईडी न.: XIU****** #EltRrp #CancelGst रिक्त भूमि कर लाओ, जीएसटी हटाओ B 1 of 32
भारत में वोट वापसी कानूनों की मांग सबसे पहले पहले महात्मा चन्द्र शेखर जी आजाद एवं महात्मा सचिंद्रनाथ जी सान्याल ने की थी। 1927 में अहिंसामूर्ती महात्मा भगत सिंह जी ने जब एचएसआरए जॉइन किया तो उन्होंने भी वोट वापसी कानूनों का समर्थन करना शुरू किया। निचे इनकी पार्टी एचएसआरए के मेनिफेस्टो का अंश दिया गया है। "हम जिस गणराज्य की स्थापना करना चाहते है, उसमे नागरिको के पास वोट वापिस लेने का अधिकार होगा। यदि भारतीयों के पास वोट वापिस लेने का अधिकार नहीं हुआ तो लोकतंत्र एक मजाक बन कर रह जाएगा" अहिंसा पुरुष महात्मा चन्द्रशेखर जी आज़ाद
REGO ; Proposal for Right to Expel & Punish govt Officers . इस कानून का सार : यह क़ानून स्कूल-अस्पताल-थानों-अदालतों-बैंक एवं मीडिया को सुधारने के लिए लिखा गया है। यदि प्रधानमंत्री इस क़ानून को गेजेट में छाप देते है तो प्रत्येक नागरिक को एक वोट वापसी पासबुक मिलेगी। जिला स्तर पर एसपी , जिला जज , शिक्षा अधिकारी , चिकित्सा अधिकारी एवं केन्द्रीय स्तर पर DD चेयरमेन , RBI गवर्नर , CBI डायरेक्टर, केन्द्रीय सूचना आयुक्त एवं सेंसर बोर्ड चेयरमेन इस पासबुक के दायरे में होंगे। तब नागरिक यदि इनमे से किसी अधिकारी के काम काज से संतुष्ट नहीं है, और उसे नौकरी से निकाल कर किसी अन्य व्यक्ति को लाना चाहते है तो वे पटवारी कार्यालय में जाकर अपनी हाँ दर्ज करवा सकेंगे। यदि नागरिको का बहुमत किसी अधिकारी को नौकरी से निकालने के लिए हाँ दर्ज कर देता है, तो प्रधानमन्त्री या मुख्यमंत्री अमुक अधिकारी को नौकरी से निकाल सकते है। बाद में इस वोट वापसी पासबुक में सरपंच, सभापति आदि जन प्रतिनिधियों के पन्ने भी जोड़े जा सकेंगे। इसके अलावा उपरोक्त अधिकरियों एवं इनके स्टाफ से सम्बंधित शिकायतों की सुनवाई करने तथा दंड देने की शक्ति जजो के पास नही, बल्कि आम नागरिको की जूरी के पास रहेगी। इस कानून को संसद से पास करने की जरूरत नहीं है। इसे प्रधानमंत्री द्वारा सीधे गेजेट में छापा जा सकता है। . इस क़ानून का हेश टेग : #VoteWapsiPassBook , #Rego106 , #P20180436106 , . --------क़ानून ड्राफ्ट का प्रारम्भ-------- . [ टिप्पणी : इस ड्राफ्ट में दो भाग है - (I) नागरिकों के लिए सामान्य निर्देश, (II) नागरिकों और अधिकारियों के लिए निर्देश। टिप्पणियाँ इस क़ानून का हिस्सा नहीं है। नागरिक एवं अधिकारी टिप्पणियों का इस्तेमाल दिशा निर्देशों के लिए कर सकते है। ] ------------------------------------- भाग (I) नागरिको के लिए निर्देश : ------------------------------------- . (01) इस क़ानून के गेजेट में छपने के 30 दिनों के भीतर आपको यानी प्रत्येक मतदाता को एक वोट वापसी पासबुक मिलेगी। . (02) तब यदि आप जिला या केंद्र स्तर के किसी अधिकारी के काम काज से संतुष्ट नहीं है और उसे नौकरी से निकालकर किसी दुसरे व्यक्ति को नौकरी पर रखना चाहते है तो पटवारी कार्यालय में उपस्थित होकर अपनी हाँ दर्ज करवा सकेंगे। आप अपनी स्वीकृति SMS, ATM या मोबाईल एप से भी दर्ज करवा सकेंगे। ये 9 अधिकारी वोट वापसी पासबुक के दायरे में आयेंगे - जिला स्तर पर पुलिस प्रमुख, जिला जज, शिक्षा अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जूरी प्रशासक, एवं केन्द्रीय स्तर पर दूरदर्शन चेयरमेन, रिजर्व बैंक गवर्नर, सीबीआई डायरेक्टर एवं सेंसर बोर्ड का चेयरमेन।
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