🙏एक कविता अपने मां के नाम 🙏
परेशान हो चाहे जितना भी!
हमारे लिए मुस्कुराती है वो!
हमारी खुशियों की खातिर!
दुखों को भी गले लगाती है वो!!
हम सभी ने कभी ना कभी
रिश्तो में मिलावट देखी
पक्की ना होकर कच्चे
रंगों की सजावट देखी
गौर से देखा है मां को
उसके चेहरे पर कभी न थकावट देखी
सुलाने के लिए मुझको,
उसे खुद को जगाते हुए देखी,
बड़ी छोटी रकम से घर चलाते देखी
कमी थी बड़ी,
पर खुशियाँ जुटाते देखी
मै खुशहाली में भी रिश्तो में दुरी,
कइ बार बनते देखी,
पर उसे
गरीबी में भी हर रिश्ता निभाते देखी,
Maya,