मुझे तो आज भी याद है
तुम्हारी वो मुस्कुराहट
तुम्हारे आने की आहट
तुम्हारी वो प्यारी सूरत
निश्छल प्रेम की मूरत
तुम्हारा मुझे वो निहारना
मेरा ख़ुद में ही सिमट जाना
बोलो ना , याद है तुम्हें
मेरा ज़माने से लड़ना
तुम्हारे लिये सब छोड़ना
तुम्हारा वो डरना वो नज़र चुराना
एक दिन अचानक चले जाना
आज मिले हो तो इतना ही बता दो
क्या याद है तुम्हें
मेरी ज़िन्दा लाश पर
अपने नए जीवन की नींव रखना
बोलो! बोलो ना
क्या याद है तुम्हें
- अनिता पाठक