खुदा से बस इतनी बंदगी करना चाहती हुं ,
हर एक जन्म मे, में लड़की बनना चाहती हुं।
पापा की आंखों का तारा बनना चाहती हुं,
कमजोर नहीं हुं मैं , यह सबको कहेना चाहती हुं।
शिद्दत से देखें कुछ ख्वाब मैंने अपने लिए,
मेरे ख्वाबों को अपने दम पे सजाना चाहती हुं।
गन्दी नज़रों से देखते हैं यहां दरिंदे मुझे,
दरिंदगीसे भरें इस जहांको आइना दिखाना चाहती हुं
बंदगी-ए-खुदा बस इतनी सी कबुल कर,
जिंदगानी जब भी दे हर जनम मुझे लड़की बना ।
Minii દવે