बस इतनी सी तो दुरियाँ है, कैसै कहे हम ?
मिले जहाँ ज़मीँन -आसमाँन, कैसै कहे हम ?
दखाई तो देता है, मिले गले से गला मिलाकर
दिल से दिल का सम्मान, कैसै कहे हम ?
छुप कर देखता दिल मैं, निगाहें करम अपना
नूरानी नज़र का कमाल मान, कैसै कहे हम ?
उलफत की रंगीनीयों का बाजा़र गरमागरम है
नरम नरम दिल का हाल मान, कैसै कहे हम ?
लफ्जों से बयाँन होता, कहाँ हुन्नर हकीकी का
लहद का खंजा़ना तु जाऩ, कैसै कहे हम ?