छूट रही लोगों की आस, टूट रहा मन का विश्वास
छा रहा अंधेरा चहुं अोर,फैले कैसे बोलो प्रकाश
धरती और अम्बर डोल रहा, डर का विष मन में घोल रहा
मंडराता भय करता है वार, जीवन को मौत से तोल रहा
उम्मीदों की हो कोई किरण,जिसको हृदय करें धारण
मिले नभ को पुनः प्रकाश,विजय हो जाए जग ये रण
#प्रकाश
Satish Malviya