हसरतकी प्यास बुझाये ऐसा जल होता है क्या
आज मे जिया जाये ऐसा कल होता है क्या
कोई दूर रहके तरसता है
कोई पास होके तड़पता है
जीवन के सतरंज पर
खेल आधा अधूरा रहता है
जीवनका दूजा नाम वैसे छल होता है क्या
आज मे जिया जाये ऐसा कल होता है क्या
कुछ सपनोको टूटते देखा है
साथ वक़्त पे छूटते देखा है
जिसे समझा अपना उसे
भीड़ मे छूपते देखा है
अपनोको जान जानेका यहीं पल होता है क्या
आज मे जिया जाये ऐसा कल होता है क्या
अनसुनी रहे दिलकी आवाज क्यु
कौन है किसने बनाये रिवाज क्यु
अंजाम से सुरुवात हो
ऐसा है आगाज क्यु
सब रिवाजोसे बचाये ऐसा काजल होता है क्या
आज मे जिया जाये ऐसा कल होता है क्या
हसरतकी प्यास बुझाये ऐसा जल होता है क्या
Sagar...✍️
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