# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .अंतरिम "
** छंदमुक्त कविता **
मौत जीवन का ,अंतरिम सत्य है ।
एक दिन सब को ,अलविदा कहना है ।।
सब कुछ छोड़ कर ,अकेले जाना है ।
कुछ भी साथ आने ,वाला नहीं है ।।
कुदरत का भी यही ,अंतरिम फैसला है ।
अतः बहुत अपने ,लिए जी लिया तू ।।
अब कुछ पल ,दुसरों के लिए जी लें ।
परोपकार कर कुछ ,पुण्य कमा लें ।।
अपना जीवन देश हित ,कुर्बान कर लें ।
तो लोग तुझें ,आँखों का तारा बनायेगें ।।
नहीं तो चार दिन ,बाद तुझें भुल जायेगें ।
तेरी अच्छाईयों की ,महिमा गायेगें ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ।