आज तुम चले जाओ,
कल लिखूंगा तेरे अलफ़ाज़,
अभी जंग में अड़ा पड़ा हूँ,
छोड़ सारे अपने घर काज,
तुम फिर भी कल आओगे,
गर तुम हो,
मुझे अभी सुनिश्चित करना है,
कि मैं रहू और रहे मेरा समराज,
आज तुम चले जाओ,
कल लिखूंगा तेरे अलफ़ाज़|
प्रिय तुम उदास ना हो,
मेरे एकांतवास से,
तुम हैरान ना हो,
मेरे प्यार में कमी हो गई,
ऐसा तुममे भाव ना हो,
आज गर कट जाए,
फिर मै हूँ और तुम हो,
आज तुम चले जाओ,
कल तुम्हारे ही अलफ़ाज़ हो|
एकांतवास
-Krishna Katyayan