#आनंद
मन आज मगन आनंद भवन में न आशा और निराशा है न सुख दुःख से मन साझा है .न दूरी कोई पास रहे न मिलने की ही आस रहे ,टूटी माला इच्छाओ की धागे से उतरा बोझ सभी स्वतंत्रत हो गये देनो छोर अखंड असीमित परिधि में मै शून्य शिखर पर जा बैठी न कुछ भी अब आभास रहा अब आनन्द ही पास रहा.