#विचलित

तुमने ही भटकाया है मन के अतिरिक्त विचारो से हे ईश्वर! मेरा दोस नही गुण भी स्वीकार नही करती, जैसा तुमको रूचता रच दो ,केवल आकृति तुम्हारी हूँ, विचलित होकर विचरण करती ,परछाँई का पीछा करती ,सब में देखूँ अश्क तेरा ,फिर क्यों दोसी न दोस मेरा.

Hindi Religious by Ruchi Dixit : 111362018
પ્રભુ 4 year ago

જય શ્રી કૃષ્ણ

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