प्रेम रंग में रंग गया, कविता तेरे संग....
प्रेम रंग में रंग गया, कविता तेरे संग ।
मेरे मन में छा गया, तेरा उजला रंग।।
कागज मसि संवेदना, लेकर चलता संग ।
जाने कब किस मोड़ में, हो जाये सत्संग ।।
कानों में बस गूँजती, मन भावन वह चंग ।
फगुनाइ में ज्यों चढ़े, हुरियारों को भंग ।।
तुमको पाने के लिये, व्याकुल है संसार ।
बड़ भागी कर पा रहे, इक तेरा दीदार ।।
वरद हस्त पाना कठिन, मुझको है यह ज्ञात ।
कुछ मनीषियों से सुना, तुम रहती अज्ञात।।
वैदिक ऋषियों ने रचे, अनुपम ग्रंथ अनंत ।
बाल्मीकि, तुलसी रमे, मीरा हो गयीं संत ।।
कालिदास जड़मति रहे, मिला आपका संग ।
सूरदास, रसखान ने, किया सभी को दंग ।।
अमर हुये साहित्य में, हो गये सभी मलंग ।
प्रेम भाव मे डूबकर, रचे ग्रंथ बहुरंग ।।
जग में सब पूजे गये, ईश अंश प्रतिरूप।
जनमन में ये छा गये, इनका बड़ा स्वरूप।।
अनुकंपा जिस पर हुई, वही हुआ निष्णात ।
जीवन भर लिखते रहे, कितने कवि दिन रात ।।
मनोज कुमार शुक्ल 'मनोज'