बचपन में हम खुब खेला करते थे।
लड़ा करते थे। झग़डा करते थे।
आज की कट्टी को कल भुला करते थे।
आज की दुश्मनी को कल दोस्ती में तबदील करते थे।
बचपन के दिन भी कितने सुहाने थे।
माँ की डाँट और दादी की कहानी के दिवाने थे।
गली गली भटका करते थे।
पेड़पर उलटे लटका करते थे।
पिताजी मार से आँचल में छुपा करते थे।
टीचर की सजा से बचा करते थे।
आजकल की पीढ़ी इन सबसे कौसो दूर है।
नयी तकनीक में सब मश्गुल/मजबुर है।