सजल#
समांत - आना
पदांत- होगा
मात्रा भार- 16
(चौपाई छंद)
जग से तिमिर भगाना होगा ।
नव प्रकाश फैलाना होगा।।
मानव धर्म बड़ा है जग में।
उसको ही अपनाना होगा।
छल-छद्मों के बाजारों से।
जन को सदा बचाना होगा।
नई सदी है राह दिखाती।
नूतन डगर सजाना होगा।।
खड़े भेड़िया हर मोड़ों पर।
उनको धूल चटाना होगा।।
जिहादियत नासूर बना है।
मिल उपचार कराना होगा।।
विधि को ठेंगा दिखा रहे जो।
दंड का डर दिखाना होगा।।
सीमाओं की करें सुरक्षा ।
रिपु-दल दर्प ढहाना हो।।
संस्कृति और सभ्यता रूठी।
उसको फिर हर्षाना होगा।।
मनोज कुमार शुक्ल 'मनोज'