प्रेम बिना.... ❤️❤️
प्रेम की कोई एक भाषा,
कोई एक जुबान नहीं होती,
प्रेम बिना जिंदगी में,
कभी मुस्कान नहीं होती,
प्रेम बिना दिल में धड़कन,
मन में चाह नहीं होती,
प्रेम बिना जिंदगी इतनी,
कभी खुशनुमा नहीं होती,
प्रेम बिना कृष्ण की मूली में,
वो मीठी तान नहीं होती,
प्रेम बिना मीरा के घुँघरू में,
वो मधुर झंकार नहीं होती,
प्रेम है अनोखा बंधन,
जिसके बिना ये कायनात नहीं होती।
उमा वैष्णव
मौलिक और स्वरचित