कब सुना किसी ने,अंनंतकाल तक खुशियों का आख्यान ....
कभी वेदना, कभी खुशियों से आलोकित
होता मानव जीवन महान .....
नैराश्य, आस्वादन, उच्छ्वास सा पुलकित होता मुग्धा रश्मि बन .....
शिशिर, बसंत संग कण कण का रे अभिमान.....
मैं मानवीय देह हूँ ,ईश्वर अब दे दो जीवित रहने का वरदान #अनामिका