Hindi Quote in Poem by Shirin Bhavsar

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*वज़ह मिल गई*
लब ख़ामोश ही रहे मुलाक़ात पर
मगर
आँखे जाने क्या क्या कह गई....

यूँ तो शिक़वा नहीं हमे कोई भी
मगर
जिंदगी जाने कितनी अनकही समझा गई....

खाकर ठोकरे सीखे ही थे संभलना
मगर
हसरतें हमारी चुनौतियाँ फिर नई दे गई....

समझाया भी बहुत ज़माने ने हमें
मगर
नासमझी अपनी समझने में उम्र बीत गई...

मुस्कुरा उठते है अब ये लब बेवज़ह
क्योंकि
इम्तिहानों में ही जीने की वज़ह मिल गई...

शिरीन भावसार
इंदौर (मप्र)

Hindi Poem by Shirin Bhavsar : 111170167
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