जीवन बस "कृष्णा"
देख तुझे मैं पुकारूँ हरदम
शीश झुका कर तुझको नमन
वो बंसी वाला दुख हर ले पल में
सहारा तू मेरा, मेरा तू जीवन
क्यूँ बैर आपसी, क्यूँ है छल-कपट
पढ़ ले जो तेरी भगवत गीता
नहीं उसमें कोई झूठा कथन
दो बातें जो ले आए अमल में
कर लें अपना सार्थक जीवन
वो बंसी वाला दुख हर ले पल में
सहारा तू मेरा, मेरा तू जीवन
घेरा था जो मुझको काले बादलों ने
आ रही थी राहों में कितनी अड़चन
दीप जलाया तूने ही उम्मीदों का
कर दिया जहाँ मेरा तूने रोशन
वो बंसी वाला दुख हर ले पल में
सहारा तू मेरा, मेरा तू जीवन