“सभी महिलाओं के लिए एक संदेश”
सुनो, सभी महिलाएँ—
मेरे मन में कुछ भावनाएँ हैं, जिन्हें मैं तुम तक पहुँचाना चाहती हूँ।
ना मायके का घर पूरी तरह तुम्हारा होता है,
ना शादी के बाद का घर ही तुम्हारा कहलाता है।
सच तो यह है कि तुम्हारा असली घर वही होगा
जो तुम अपनी मेहनत, अपने प्रयास और अपने नाम से बनाओगी।
इसलिए, अपने लिए एक ऐसा घर ज़रूर बनाओ
जो सच में तुम्हारा अपना हो—
तुम्हारी मेहनत, आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान का प्रतीक।
जो महिलाएँ आर्थिक रूप से कमज़ोर हैं,
उनका हाथ पकड़ो,
उन्हें शिक्षित करो,
उन्हें साथ लेकर चलो।
संगठित बनो, एक-दूसरे की शक्ति बनो।
ज्ञान, शिक्षा, विज्ञान, दर्शन—
हर मार्ग पर आगे बढ़ो।
डॉक्टर, इंजीनियर, जज, वैज्ञानिक, नेता—
कोई भी पद तुम्हारे पहुँच से बाहर नहीं है।
मैं बार-बार यही कहना चाहती हूँ—
तुम्हारे अधिकार तुमसे कोई नहीं छीन सकता।
उठो, जागो, संगठित रहो,
और अपनी आर्थिक स्थिति को मज़बूत बनाओ।
क्योंकि जब महिला आर्थिक रूप से सशक्त होती है,
तब ही वह सच में स्वतंत्र होती है।