माना चांद की शीतल चांदनी प्रेमियों को बहुत लुभाती है
और सूरज की तेज रोशनी इस जगत के सभी काम बनाती है ।
लेकिन इनसे बढ़कर आसमान में टिमटिमाते इन छुटकू से  तारों की बात निराली है, तारों की झिलमिलाती बारात बच्चों के साथ बड़ों को भी खूब लुभाती हैं।
किसका बचपन होगा भला! जो इनको गिनने में ना बीता  हो और इनके टिमटिमाने के रहस्य से पर्दा उठाने में अपने साथ दोस्तों का दिमाग ना रीता हो।
कुछ तारे अपने कुछ बहन भाइयों की जागीर बन जाते थे 
उनकी छोटी - मोटी आकृतियों से एक दूसरे को खूब चिढ़ाते थे।
हंसी ठिठोली बातें करते बीत जाता एक पहर रात का
 बाकी तारों जैसे आंखें टिमटिमाने में और सुबह सारा
घर हिल जाता हम बच्चों को जगाने में।
लेकिन धीरे-धीरे वक्त ने बदली करवट, आधुनिक हो गए अब गांव-शहर, बच्चे व्यस्त अब टीवी मोबाइल में और 
भारी भरकम पढ़ाई में।
आधुनिक बचपन को कहां फुर्सत प्रकृति संग वक्त बिताने की, तारों को गिनने और सूरज चांद संग लंबी दौड़ लगाने की ।।
सरोज प्रजापति ✍️ 
 - Saroj Prajapati