मैं और मेरे अह्सास
तसवीर
बड़ी जहमत उठाई है पल की झलकियां पाने के लिए l
और कई दिन लगें मुकम्मल तसवीर बनाने के लिए ll
वैसे भी उखड़े उखड़े रह्ते है अब नहीं चाहते बेचैन रहे l
कभी के अजनबी ओ गुमशुदा हो गये ज़माने के लिए ll
"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह"सखी"