वो पूछते इंसान का धर्म
इंसानियत धर्म से नहीं
जिनका दूर-दूर तक कोई नाता।
मजहब की आड़ में करते खून खराब
फिर पाक दामन दिखने का
वो खुद ही करते शोर शराबा।
दूसरों का घर जलाकर तमाशबीन बनते हैं
अपने घर देख एक चिंगारी हलक इनके सूखते हैं
इस जन्नत को अपने हाथों बना जहन्नुम
वो काफ़िर सजदे में, जन्नत की दुआ करते हैं !!
सरोज ✍️
- Saroj Prajapati