अमर प्रेम का संतोष ही अलग होता है पर इसके दौर जान जाने से भी ज्यादा कष्टकारी होते है । आपसे सब तब छूट जाता है जब आप अपने इच्छाओं सपने के अंतिम बिंदु को देखने लगते है । और फिर भी सब अपना कर जीना होता है । ये प्रेम इतना आसान नहीं आपको जीते जी जलते रहना होता है और पल पल प्रेम के फूल भी खिलते रहते हैं।