मेरा सबसे बड़ा डर के मैं कही अकेले न रह जाऊ जिंदगी में । अब वहीं डर जी रही हूं ।
मुस्कुरा रही हूं,
सारे काम कर रही हु,
लोगों से मिल रही हूं,
नए काम कर रही हूं,
पर कोई नहीं देख पाएगा के में कितनी टूटे चुकी हूं।
जो प्रेम था वो सब उड़ेल दिया ,
जो साथ था वो भी जाने दिया,
जो दर्द था उसे भी झेल लिया,
पर कोई नहीं देख पाएगा के मैने खुद को कैसे संभाला।
ना किसी से उलझी ,
ना किसी से प्यार मांगा,
ना किसी से झूठा मन लगाया,
पर कोई नहीं जान पाएगा मैने तुम्हे कितना याद किया।
ना बोतलों का सहारा लिया,
ना दोस्ती का कंधा लिया,
ना खुद को कमजोर होने दिया,
पर कोई नहीं समझ पाएगा मैने क्या खो दिया।
में बहुत टूट गई हु तेरे बिन अनाथ सी हो गई हूं।
पर किसी को दोष ना दूंगी जैसी भी तेरी ही हूं।