कान्हा....
सबको विरह क्यू देते फिरते हो
विरह के हर एक से तुम प्रीत करते हो
उस भक्त के विरह में
तुम भी तो रोते हो ।
फिर भी विरह देते फिरते हो
न जाने वृंदावन इतना केसे भा गया
जो बिना एक बार भी जाए मेरे मन में छा गया
रमणा से दूरी हर क्षण तरसाए
लाडली कृपा जल्द बरसाए 🙏
विरह के आंसू उस छलिए को भाए
हे लाडली..........
सूख रहे आंसू भी अब तो
कुछ आंसू
दर्शन को भी बच जाएं
ऐसी किया भूल हुई है मुझसे?
जो मिली है दूरी वृंदावन से
माना पापी हु में ज्यादा सबसे
पर लाली.....
तेरी कृपा तो हर पापी पर भी बरसे
अरे बांके बिहारी तो सौभाग्य की बात है
उनकी चोखट ही दिख जाए तो
किया ही बात है ...
राधा वल्लभ के तो दर्शन ही दुर्लभ बात है
वहा का एक पत्ता ही दिख जाए तो
किया ही बात है..
व्रजवास तो कृपा की बात है
अरे व्रज में एक क्षण ही मिल जाए
तो किया ही बात है...
खो जाना है व्रज की उन गलियों में
राधा नाम में जुमता बिहारी
मिले जिन गलियों में......... हेतु ✍️
कान्हा अब तो बुला वृंदावन 🙏🦚