कोऽन्धो योऽकार्यरतः को बधिरो यो हितानि न श्रुणोति।
को मूको यः काले प्रियाणि वक्तुं न जानाति॥
( आद्य शंकराचार्य जी)
अन्धा कौन है? जो बुरे कार्यों में संलग्न रहता है।
बहरा कौन है? जो हितकारी बातों को नहीं सुनता।
गूँगा कौन है? जो उचित समय पर प्रिय वाक्य बोलना नहीं जानता।
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