ना फूलों मेंं ना कलियों में ना डालीं से आतीं हैं,
जो खुशबू मां के हाथों से सजी थाली में आती है।
वो एक आवाज जो आती है, मंदिर की घंटियों से,
वही आवाज हमको आपकी समीक्षाओं से आती है।




-मनिष कुमार मित्र"

Hindi Blog by मनिष कुमार मित्र
मनिष कुमार मित्र" 3 year ago

शेखर जी आपका तहेदिल से शुक्रिया धन्यवाद 🙏

मनिष कुमार मित्र" 3 year ago

आपका हार्दिक धन्यवाद 🙏

मनिष कुमार मित्र" 3 year ago

आपका हार्दिक धन्यवाद 🙏

shekhar kharadi Idriya 3 year ago

वाह.. बहुत खूब

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