बादल से मुलाकात


राजू, बबलू, तुम सब आओ
सब मिलके बदरा को मनाओ
बदरा हमसे रूठ गए हैं
मुंह फुलाके बैठ गए हैं

बहुत बुलाया तो बादल आया
साथ में रिमझिम को भी लाया
बहुत ही पूछा तो बताया
रो रोकर के दुखड़ा गाया।

बहुत स्वार्थी हो गया मानव
रूप ले लिया उसने दानव
मेरे प्यारे दोस्त वो दरख्त
उनको काट गिराए मानव

तकलीफ़ मुझे बहुत ही होती
मेघा,बरखा दोनों ही रोती
रो रो करके तब वो सोती
झड़ते रहते आंखों से मोती

मुझसे सब ये देखा न जाए
तुम लोगों को वर्षा भाए
सबकुछ चाहो बिन हाथ हिलाए
ऐसा कैसे चलेगा और बोला बाय

मै बोली कोई बताओ उपाय
शांत होकर फिर बात दोहराय
मुझे पेड़ पौधे हैं प्यारे
हाथ हिला ये मुझे बुलाय

तुम सब मिलके पेड़ लगाओ
धरती का शृंगार रचाओ
बिन बुलाये फिर मैं आऊं
पेड़ पौधों को गले लगाऊं

मैंने भी कर डाला वादा
सबको समझाऊंगी मैं दादा
हम सब मिलके पेड़ लगाएंगे
धरती का शृंगार रचायेंगे।

तब खुश हुए थे बादल दादा
बोले मैं आऊँगा ये रहा वादा
जितने अधिक तुम पेड़ लगाओ
उतनी चाहे तुम वर्षा पाओ।

एमके कागदाना
फतेहाबाद हरियाणा

Hindi Poem by एमके कागदाना : 111510026
shekhar kharadi Idriya 4 year ago

अत्यंत सुंदर अभिव्यक्ति..

Prem Nhr 4 year ago

बहुत अच्छा लिखा है।

Brijmohan Rana 4 year ago

बेहतरीन सृजन ,वाहहहहहहहहहहहह ।

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