Quotes by Sudhir Srivastava in Bitesapp read free

Sudhir Srivastava

Sudhir Srivastava

@sudhirsrivastava1309
(15)

मेरी माटी, मेरा भारत
******
मेरी माटी की महिमा अपार है
जान रहा इसे सारा संसार है,
भिन्न भिन्न है बोली वाणी
अरु भिन्न भिन्न परिधान है।

बहुरँगी सँस्कृति यहाँ की
और विभिन्न त्योहार है,
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई
सबका आपस में प्यार है।

जाति-पाति का भेद न कोई
न ऊँच नीच की बात है,
सामाजिक समरसता इसकी
दुनिया में विख्यात है।

सीना ताने खड़ा हिमालय
देता अविचल सँदेश है
दुश्मन कोई बच ना पाए,
ऐसी माटी का देश है।

नित उन्नति पथ पर बढ़ता है
नित नव गढ़ता आयाम है,
हर मुश्किल में एकजुट रहता
दे रहा सीख संदेश है।

शिक्षा, कला, संस्कृति में
नित गढ़ता बढ़ता आयाम है,
सबसे बड़ा लोकतँत्र इसका
सबसे बड़ी पहचान है।

स्वास्थ्य, परिवहन, तकनीकों में
हर दम आगे बढ़ता है,
सजग प्रहरी सीमाओं पर
सीना तान खड़ा रहता है।

नहीं किसी को दुश्मन माने
यह हम सबकी शान है,
पर आँख दिखाए यदि कोई
तो छीन ले रहा प्राण है।

आज कोई भी देश सामने
हमसे अकड़ नहीं सकता,
आँखों में आँखें डालकर भारत
सीना तान कर बातें करता।

आज विश्व में भारत को नित
मिल रहा बड़ा सम्मान है,
भारत का बढ़ता कद कहता
भारत की नव पहचान है।

सुधीर श्रीवास्तव

Read More

मेरा भारत महान
***********
हमें गर्व है अपनी मातृभूमि पर
जाति -धर्म, भाषा, संस्कार, तीज, त्योहार, परिवेश पर
विकास के बढ़ते आयाम, सम्मान स्वाभिमान पर।
हमें गर्व है अपने लोकतंत्र, अपने आधार पर
अपने देश की नीति और नियंताओं पर
वैश्विक स्तर पर भारत के बढ़ते प्रभाव संग
अपने सुरक्षा तंत्र और सैन्य बलों पर।
आँखों में आँखें डालकर बात करने की दृढ़ता पर
अतिक्रमण वाली नीति की विमुखता पर
हर व्यक्ति, राष्ट्र की खुशहाली और संपन्नता की नीति पर
देश के दुश्मनों को माटी में मिलाने की नीति पर।
खुद को समर्थ और मजबूत करने की नीति पर,
हमें विश्वास है अपनी माटी, अपनी मातृभूमि पर,
हमें गर्व है अपने तिरंगे और तिरंगे की शान पर,
हमें शिकायत नहीं अपने देश और देश की व्यवस्था पर
अपने देश, अपनी माटी और अपनी संवेदनशीलता पर
क्योंकि ये देश मेरा है, और हम इसकी संतान हैं,
जिस पर हमें गर्व है कि मेरा भारत महान है।

सुधीर श्रीवास्तव

Read More

कर्मों का बहीखाता

हम सब जानते हैं
जैसा कर्म करेंगे, वैसा ही फल पायेंगे
गीता का यही ज्ञान, है जीवन का विज्ञान।
कौरव पाँडव का उदाहरण सामने है
रावण विभीषण, सुग्रीव बाली के बारे में
हम सब जानते हैं
कँस का भी ध्यान है या भूल गए।
सबका बहीखाता चित्रगुप्त जी ने सहेजा,
किसी को राजा तो किसी को प्रजा
तो किसी को रंक बनाकर भेजा
अमीर गरीब का खेल भी मानव का नहीं
कर्मानुसार उसके बहीखातों का खेल है।
यह और बात है कि हमें
अपने पूर्व जन्म या जन्मों का ज्ञान नहीं होता,
इसीलिए अपने कर्मों का भी हमें पता नहीं होता।
और हम सब इस जन्म के साथ ही
पूर्वजन्मों के कर्मों का फल पाते हैं।
क्योंकि हमारे कर्मों का बही खाता निरंतर भरता रहता है,
उसी के अनुसार कर्म फल का निर्धारण होता है
और हमें अच्छा बुरा कर्म फल मिलता है।
वर्तमान जीवन में ही नहीं मृत्यु के बाद भी
चित्रगुप्त जी के बहीखाते में दर्ज
हमारे कर्मों के अनुसार ही
कर्म फल का निर्धारण होता रहता है,
सत्य यह भी है कि हमारा एक एक कर्म
चित्रगुप्त जी के बहीखाते में
दर्ज़ होने से कभी छूटता भी नहीं,
इसीलिए तो इसे कहा जाता है
कर्मों का बहीखाता।

सुधीर श्रीवास्तव

Read More

कण कण में प्रभु
●●●●●●●●●
प्रभु तुम कण कण में हो
धरती हो या आकाश
मनुष्य हो या जानवर
पेड़ पौधे फूल पत्तियों में
है तेरा निवास।
सजीव हो निर्जीव हो
छोटा हो या बडा़
कीड़े मकोड़े, कीट पतंगे
या पत्थर की मूर्ति हो
इस जहाँ के हर कण में
प्रभु तेरा वास।
धर्मी हो या अधर्मी
चोर हो या चांडाल
बिना भेदभाव का सबसे
रखते सम व्यवहार।
बस!महसूस करने की
जरूरत है,
हर पल ,हर कहीं
तुम्हारे होने के लिए
विश्वास की जरूरत है।
क्योंकि हर कण,हर पल,हर जगह
तुम होते हो,
कोई समझे,न समझें,
माने या न माने
कोई श्रद्धा के फूल चढ़ाए
या अविश्वास का आरोप लगाए,
फिर भी तुम
हर जगह पाये जाते हो,
हर पल,हर क्षण,हर कहीं
अपने होने का कर्तव्य
सतत,अबाध निभाये जाते हो।
प्रभु!तुम कण कण में हो
अहसास कराये जाते हो।

■सुधीर श्रीवास्तव

Read More

सुख दुख का साथी
****************
सुख दुख का साथी
हम किसे मानते हैं,
कभी मां बाप भाई बहन
परिवार, रिश्तेदार को
अपना साथी समझते हैं
या अपने जीवन साथी
या फिर अपने बच्चों को
कभी कभी मित्रों शुभचिंतकों को।
मगर ये सब भ्रम है
या दिवास्वप्न जैसा है
जिस पर विश्वास अपवाद में ही
सफल हो पाता है।
सुख दुख का सबसे अच्छा साथी
हम आप खुद और हमारा विश्वास है
यदि खुद पर विश्वास है हमें
तो यही विश्वास हमारा साथी है,
अपने विश्वास से बड़ा साथी
न कोई है, न हो सकता है
इसलिए खुद पर विश्वास कीजिए
सुख और दुःख दोनों में ही
अपने विश्वास को
विश्वसनीय साथी मानिए।

सुधीर श्रीवास्तव

Read More

अच्छा होगा
**********
मन के परिंदे ने अभी तक
हौसला नहीं खोया है,
उसका आत्मविश्वास
अभी नहीं सोया है।
थोड़ा डगमगा जरूर रहा है
पर पीछे हटने का मन भी
भला कहाँ हो रहा है?
क्योंकि
अभी भी उम्मीद का जुगून
दूर ही सही चमक रहा है,
बस मात्र यही चमक
हौसला बढ़ा रहा है।
मन का आत्मविश्वास
फिर से मजबूत हो रहा है,
कालिमा छँटेगी,प्रकाश फैलेगा
चेहरों पर छाई निराश की जगह
मुस्कान फिर से होगा
न विश्वास टूटा है,न टूटेगा
कुछ भी हो जाय आस न छूटेगा
शायद इसीलिए
धैर्य मजबूत हो रहा है,
आने वाले हर पल के साथ
निश्चित ही कल अच्छा होगा
हर चेहरे पर मुस्कान
हर ओर खुशियों का डेरा होगा।

सुधीर श्रीवास्तव

Read More

मैं कौन हूँ?
**********
प्रश्न कठिन है ये कह पाना
कि मैं कौन हूँ?
कोई भी विश्वास से कह नहीं सकता
कि मैं कौन हूँ?
पर दंभ में चूर होकर
जाने कितने यह तो कहते हैं
तुम्हें पता भी है कि मैं कौन हूँ?
धमकी से दबाव बनाने का
भौकाल जरूर बनाते हैं,
परंतु सच में मैं कौन हूँ का
अहसास कहाँ कर पाते।
यह विडंबना नहीं तो क्या है?
मैं कौन हूँ के नाम पर
रोब गाँठते फिरते हैं ,
यह जानने की जहमत तक
नहीं उठाना चाहते कि
कि वास्तव में मैं कौन हूँ।
मैं कौन हूँ यह जानना
बड़ा ही मुश्किल है,
फिर भी खोज में लगा हूँ
शायद अगले...अगले या फिर
अगले पलों में ही सही
यह जान तो सकूँ
कि मैं कौन हूँ।

● सुधीर श्रीवास्तव

Read More

व्यंग्य
अवध में राम आये हैं
******************
अजीब तमाशा है
जैसे हमें पता ही नहीं है
कि अवध में राम आये हैं।
चलिए! आपने कहा तो हमने मान भी लिया
पर क्या आप मेरी भी बात मानेंगे?
या अपने ज्ञान का ही ढिंढोरा पीटते रहेंगे
राम जी तो त्रेतायुग में ही आ गये थे
और आप अब कह रहे हैं कि राम जी अब आये हैं।
अरे भाई! यदि आप कहें
कि अब अयोध्या के राम मंदिर में राम आये हैं,
तो हम भी आपके सुर में सुर मिलाएंगे।
वैसे भी क्या फर्क पड़ता है ?
कि राम आये थे या राम आये हैं,
कौन सा मुँह लेकर हम उनके स्वागत में गीत गा रहे हैं?
हम आप तो जाति, धर्म, हिंदू-मुसलमान
मंदिर-मस्जिद के झगड़ों में फँसे हैं
वोटों की राजनीति में उलझे हैं,
अनाचार, अन्याय, भ्रष्टाचार के दलदल में फँसे हैं
हिंसा, अपराध, व्यभिचार और
स्वार्थी मानसिकता में जकड़े हैं।
राम आये हैं चलो अच्छा है
न आते तो और भी अच्छा होता,
क्योंकि बड़ा प्रश्न है
कि हमारे कौन से कर्म धर्म देखकर
राम जी हम पर अपनी कृपा लुटाएंगे?
अब आप तो मानोगे नहीं
पर मैं तो यही कहूँगा
कि राम जी आयें हैं तो परेशान होकर सिर्फ पछताएंगे।
अब जब आप कह रहे हैं कि अवध में राम आये हैं
तब क्या हम-आप सब ये सौगंध उठायेंगे
कि हम सब राम जी की मर्यादा की लाज बचायेंगे,
रामराज्य के अनुरूप अपना आचरण बनायेंगे?
यदि हाँ! तो विश्वास कीजिए तभी राम जी आयें हैं।
वरना इस मुगालते में न रहिए कि राम जी आयें हैं
आये भी हैं, तो सिर्फ राम मंदिर में बैठे रह जायेंगे
अब हम हों या आप सिर्फ झुनझुना बजाएंगे
और फूले नहीं समा रहे हैं
कि अवध में राम आये हैं,
और हम-आप मिलकर सिर्फ कोरा रामधुन गा रहे हैं
और बड़ी बेशर्मी से राम जी को भरमा रहे हैं।

सुधीर श्रीवास्तव

Read More

बड़ा सवाल
********
यह कैसी विडम्बना है कि जो डरे हुए हैं
खुद को लाचार, असहाय बता रहे हैं
दोहरा मापदंड अपनाएं जाने का आरोप लगा रहे हैं
बदले में भाईचारा दिखाने का
वीभत्स दृश्य प्रस्तुत कर रहे हैं।
यह कैसा भाई-चारा, गंगा जमुनी संस्कृति को
पाल पोसकर कर बड़ा कर रहे हैं,
अपने जाति, धर्म, आराध्य, की आड़ में
हिंसा करते और इंसानियत का खून कर रहे हैं।
अपने और अपनों को ही श्रेष्ठ समझ रहे हैं
अपने ही खून को बदनाम कर रहे हैं,
क्या मिल रहा उन्हें ऐसा करके
पूरे जाति, धर्म, आराध्य पर
अविश्वास का आवरण डाल रहा है,
अपनी और अपनी के साथ
जाने कितनों के भविष्य को अंधेरे में ढकेल रहे हैं।
यह देश सबका है
यह बात उनके समझ में क्यों नहीं आती?
यहीं जन्में, पले- बढ़े, रोजी रोजगार करते
जीवन के हर आयाम का भरपूर लाभ लेते
फिर भी इसी देश देश और धरती को
अपना कहने में बड़ा सकुचाते हैं,
और पड़ोसी राष्ट्र और सात समंदर पार की
चिंता में बेचारे दुबले हुए जाते हैं,
जो इन्हें जानते तक नहीं
इनकी परवाह तक नहीं करते
उनके लिए ये गला फाड़ फाड़कर चिल्लाते हैं।
अपने तीज, त्यौहार, पर्व पर भाईचारा चाहते हैं
हर व्यक्ति जाति धर्म का साथ चाहते हैं
लेकिन औरों के तीज त्योहार पर्व में लकड़ी लगाते हैं,
और फिर जबरदस्ती का पीड़ित
और कमजोर होने का रोना रोते हैं।
आखिर ऐसा कब तक चलेगा?
यह बड़ा सवाल मुँह बायें खड़ा है,
आज देश,समाज ही नहीं हर व्यक्ति पूछ रहा है
हिंदू, मुसलमान, सिख ईसाई जैन या पारसी हो
हर किसी से ये सवाल पूछ रहा है।
यह विडंबना नहीं तो और क्या है?
कि ये सवाल राजनीति और वोट की
भेंट चढ़ता जा रहा है,
भाई भाई में द्वंद्व बढ़ता जा रहा है,
अपनी भारत माता का आँचल तार तार होता जा रहा,
उसके ही लाल उसका नित अपमान कर रहा है,
हमारे देश और देशवासियों को ये सब देखने को
आखिर क्या क्या देखने को मिल रहा है
ईश्वर, अल्लाह, गाड, फादर को बांटा जा रहा है
एक मात्र अदृश्य सत्ता को भी नकारा जा रहा है
समझ नहीं आता आज ये क्या हो रहा है?

सुधीर श्रीवास्तव

Read More

असली विशेष - असली पूजा
**********
आप सभी माँ भक्तों को 
बहुत बहुत बधाइयां शुभकामनाएं,
सुख शान्ति, समृद्ध और स्वास्थ्य का उपहार पाएँ,
नाचें-गाएँ, खुशियों का संसार सजाएँ।
पर माँ का भी कुछ मान बढ़ाएँ
माँ की पूजा आराधना का
सिर्फ न औपचारिकता निभाएंँ,
पूरी ईमानदारी से माँ के चरणों में शीश झुकाएँ,
अपनी संवेदनाएं घोलकर न पी जाएँ
नैतिक मूल्यों के पथ से न भटकें,
घर, परिवार, समाज के प्रति भी
वास्तव में अपनी जिम्मेदारी निभाएँ।
ईर्ष्या, द्वेष, निंदा नफ़रत मन से मिटाएँ
स्वार्थ के आसमान से अब नीचे उतर आएँ।
निज के लिए ही जीने के सपनें न सजाएं 
जगत जननी माता से सिर्फ अपने लिए ही
धन दौलत, स्वास्थ्य समृद्धि की माँग न करें।
ये संसार भी आपका है
इसका हर प्राणी आपका परिवार है,
इसलिए सबके सुख समृद्धि की कामना करें 
चाहें तो माँ से इसके लिए जिद भी करें,
पर अपने से अधिक समूचे संसार के
हितार्थ कल्याण की कामना करें।
बस! इतना भर करके देखिए 
माँ आपका ही नहीं जगत का कल्याण करेंगी 
सुख समृद्धि से आपकी ही नहीं 
हर किसी की झोली भरेंगी।
तब ही माता के पूजा आराधना की सार्थकता होगी
नवरात्रि पर्व और माँ की महिमा बढ़ेगी, 
माँ अपने भक्तों का निश्चित ही कल्याण करेंगी 
सुख, समृद्धि, खुशियों से सबकी झोली भरेंगी
और बहुत बहुत बहुत प्रसन्न होंगी,
तब माँ के जयकारे भी और मोहक लगेंगे
चहुँदिश हर्षोल्लास में जब 
जय माता दी जय माता दी के जयकारे गूँजेंगे,
माँ के दरबार सजेंगे, गुणगान होंगे 
भजन, कीर्तन, जागरण होंगे,
माँ की चौकियाँ सजेंगी 
यही नवरात्रि पर्व में माँ की असली पूजा होगी।

सुधीर श्रीवास्तव

Read More