Hey, I am on Matrubharti!

गौमाता मेरी माता
********
हे गौमाता तुम्हें नमन है
चरणों में तेरे नित वन्दन है
तेरी महिमा का बोध नहीं हैं
अज्ञानी मूरख हम जो हैं।
तेरा ध्यान नहीं रख पाते
घमंड में आज चूर हम रहते,
महत्व तेरा हम नहीं समझते
झूठ मूठ नादान हैं बनते।
पूजा तेरी अब छोड़ चुके हैं,
तुझको पशु अब मान रहे हैं
हम तुझको कहते गैया हैं
तू तो मैया है भूल रहे हैं।
हे मां हमको माफ करो
हम बच्चों कर कृपा करो,
करुणा ममता की वारिश कर
हम सबका कल्याण करो।
हम सब तेरे बच्चे हैं
थोड़ा अकल से कच्चे हैं
पर तू तो सबकी माता है
दूर कहां अपना नाता है।
दया दृष्टि तुम हम पर रखना
भूल हमारी क्षमा तू करना
हमें अलग मत तू कर देना
यही निवेदन है मेरी माता।

सुधीर श्रीवास्तव गोण्डा उत्तर प्रदेश

Read More

कुछ गैर समझ लेते हैं
***************
कितना आसान है ये कह देना
कि कुछ लोग गैर समझ लेते हैं,
पर शायद वे ही सबसे करीब होते हैं
यही बात हम आप नहीं समझते हैं ।
क्योंकि वे हमारी चिंता करते हैं
हमारे अच्छे बुरे का ध्यान रखते हैं
हमें अपना समझते हैं,
इसलिए थोड़े कड़क होते हैं
हमारी हर कारगुज़ारी पर पैनी नजर रखते हैं।
इसलिए हमारी नज़रों में चुभते हैं
वे हमें तो गैर नहीं अपना समझते हैं
मगर हम ही उन्हें गैर समझ बैठते हैं
अपने सबसे बड़े शुभचिंतक को ही
हम अपनादुश्मन मान बैठते हैं
और गैर का तमगा चस्पा कर देते हैं।

सुधीर श्रीवास्तव गोण्डा उत्तर प्रदेश

Read More

कदम दर कदम
==========
जीवन के हर कदम पर
आपको खुद आगे बढ़ना है
कदम दर कदम आगे ही आगे बढ़ते जाना है,
दो चार कदम तो कोई भी
आपका सहारा बन सकता है,
पर हर कदम पर कोई आपके साथ खड़ा होगा,
यह बिल्कुल मुमकिन ही नहीं।
कोई संबल दे सकता है,
आपका हौंसला बढ़ा सकता है
प्रोत्साहन देकर आपको प्रेरित कर सकता है
पर आपका कदम नहीं बन सकता।
वो तो आपको ही करना
पहले कदम के साथ शुरुआत खुद ही करना है
और फिर कदम दर कदम आगे बढ़ना ही नहीं
खुद ही मंजिल भी पाना है,
इसके लिए न कोई बहाना है
गांठ बांध लो हर मुश्किल से पार खुद ही पाना है
इसीलिए कदम दर कदम सतत् आगे ही जाना है
न कोई बहाना और न किसी को कुछ समझाना है,
बस कदम दर कदम चलते जाना है।

सुधीर श्रीवास्तव गोण्डा उत्तर प्रदेश

Read More

मिट्टी
*****
धरती ही नहीं दुनिया के किसी कोने में
धरती हो या आकाश पाताल में मौजूद
हर भौतिक वस्तु या जीव
पेड़ पौधे ,जीव जंतु, पशु पक्षी
नदी,नाले, झील, झरने पहाड़, खाई, गुफा
सब मिट्टी की ही देन हैं,
और इसी मिट्टी में मिल जायेगा,
चाहे जितना अकड़ दिखाए
या अपनी ताकत पर इतराये
चाहे जितना ज्ञान विज्ञान का जाल फैलाए
या तंत्र मंत्र करे और पूजा पाठ में रम जाए।
चाहे जितना विशाल हो उसका आकार
या बहुत गहरी हों उसकी जड़ें।
सब व्यर्थ हो जायेगा
जब उसका समय उसकी दुनिया में पूरा हो जाएगा
उसका अस्तित्व मिट्टी में ही मिल जायेगा,
मिट्टी के बिना न उसका अस्तित्व था ही कब
जो मिट्टी के सिवा कहीं और आश्रय पायेगा,
मिट्टी था, मिट्टी है और मिट्टी में मिल जायेगा।

सुधीर श्रीवास्तव गोण्डा उत्तर प्रदेश

Read More

उपासना
*********
पूजा आराधना उपासना कीजिए
मगर पवित्र मन और भाव से,
न कि दिखावे या महज खानापूर्ति के लिए
तब ही इसका कोई मतलब है
वरना ये सब बेमतलब है।
जिसका न कोई लाभ होगा और
नहीं मन को सूकून मिलेगा,
क्योंकि ये सिर्फ नाटक के सिवा
और कुछ नहीं होगा,
पर्दा उठा रहने तक ही दिखेगा,
पर्दा गिराओ नहीं कि सबकुछ खत्म होगा।

सुधीर श्रीवास्तव गोण्डा उत्तर प्रदेश

Read More

आखिरी पन्ना
*************
जीवन की किताब हम पढ़ते ही रहते हैं
उसके पन्ने पलटते ही रहते हैं
अच्छे बुरे का विचार किये बिना
कुछ पन्ने पढ़ते, कुछ बिना पढ़े ही छोड़
अगले पन्ने पर आ जाते हैं
उस पन्ने को भी अपनी सुविधा से ही
पढ़े या बिना पढ़े ही खुश हो जाते हैं।
जीवन के पन्नों से हम कभी खुश
कभी नाखुश ही होते हैं
हर पन्ने की एक एक इबारत
हम अपनी सुविधा से पढ़ रहे होते,
पर विडंबना यह भी है कि हम
जीवन के पन्नों को तो
अनवरत पलटते रहना चाहते हैं
पर आखिरी पन्ने तक पहुंचना ही नहीं चाहते,
फिर भी आखिरी पन्ने तक पहुंच ही जाते
और मायूस होकर बिना पढ़े ही
अपने जीवन की किताब खुली छोड़
न चाहते हुए भी दुनिया से विदा हो जाते हैं।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
© मौलिक स्वरचित

Read More

हास्य
यमराज मेरा मेहमान
************
कई दिनों से मैं महसूस कर रहा हूं
कि जब भी मैं घर के बाहर सुबह सुबह
चाय के साथ अखबार पढ़ने बैठता हूं,
घर के सामने लगे पेड़ पर कोई मुझे घूरता है
न वो पास आता है,न ही कुछ कहता है
बस टुकुर टुकुर देखता रहता है।
कल रात मैंने जब श्रीमती जी को इस बारे में बताया
तो वो बड़ी अदा से मुस्कराते हुए बोली
हूजूर! दीन दुनिया की खबर रखते हैं
समझदारी घर की में अलमारी में सजाये रखते हैं।
उसका थोड़ा उपयोग करना सीखो।
मैं झल्ला गया अरे! यार
नसीहत मत झाड़ो, साफ साफ बताओ।
श्रीमती जी ने समझाया
हुजूर वो कोई और नहीं जो आपको नहीं घूरता है
वो यमराज है जो अपनी ड्यूटी पर होता है
आपके हाथों की चाय का कप देख रुक जाता है,
सच बताऊं तो चाय पीना चाहता है
मेरी बनाई चाय की खुशबू में उलझकर
बेचारा अपनी ड्यूटी तक भूल जाता है,
लापरवाही के लिए डांट भी खाता होगा
पर तुम्हें शर्म तक नहीं आता,
बेचारा एक कप चाय के लालच में पेड़ पर
उम्मीद लगाकर बैठ जाता है।
सच बताऊं तो वो सुबह की चाय पीने आता है
उस चाय में उसे मेरा अक्स नज़र आता है।
कल आप दो कप चाय लेकर बैठना
फिर देखना सब समझ आ जाएगा
आपकी हर शंका का समाधान हो जाएगा।
अगले दिन दो कप चाय और बिस्कुट के साथ
मैं अखबार लेकर बैठ गया,
अखबार पढ़ते हुए चाय की चुस्कियां लेने लगा
पेड़ पर आज मुझे कोई घूरता नहीं लगा
हां! चाय का दूसरा कप
धीरे धीरे जरुर खाली होता गया
प्लेट से पांच बिस्कुट भी अपने आप गायब हो गया।
दूसरे कप की चाय जब खत्म हो गई,
मुझे धन्यवाद के साथ रविवार को फिर आऊंगा
का अस्पष्ट स्वर सुनाई दिया,
और एक साया उड़ता हुआ दिखाई दिया
मुझे समझ में आ गया
यमराज चाय पीकर फ़ुर्र हो गया,
अगले रविवार आने का संदेश एडवांस में दे गया,
अब मेरा संदेह मिट गया,
श्रीमती जी के दिमाग का लोहा मान गया,
यमराज मेरा हमेशा के लिए
जबरदस्ती का मेहमान बन गया।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
© मौलिक स्वरचित

Read More

खुश रहने की वजह
***************
ईमानदारी से बताइएगा आप सब हमको
कि हम झूठ कहते हैं
और आप ऐसा बिल्कुल नहीं करते।
पर मैं जानता हूं कि हम नहीं आप झूठ बोल रहे हैं
हम भी आपका दोष नहीं दे रहे हैं।
पर सच तो यह है कि हम खुद ही
खुश रहना ही नहीं चाहते हैं
और खुश रहने की वजह ढूंढते हैं,
अपने आपको ही बेवकूफ बनते हैं
खुद ही खुद को गुमराह करते हैं
बेचारी वजह को गुनहगार मानते हैं।
पर ऐसा बिल्कुल नहीं है
ये सब कोरा बकवास है,सिर्फ बहाना है
क्योंकि हमें तो ख्वाहिशों ने इतना जकड़ रखा है
कि हम लालची,दलाल और गुलाम बनते जा रहे हैं
जितना है उससे और ज्यादा पाने की ख्वाहिश
हर दम दौड़ते भागते रहते हैं,
भूखे भेड़िए की तरह हमारी भूख ही नहीं मिटती
हमारी तृष्णा की भूख कभी शांत ही नहीं होती।
खुश रहने की बात सोचने की फुर्सत
जब हमें ही नहीं मिलती
तब बेचारी वजह ही आरोपों का शिकार बनती है।
खुश रहने के लिए वजह की नहीं
इच्छा शक्ति की जरुरत होती है
खुश रहने की चाह रखने वालों को
कांटों में भी खुशी मिल जाती है,
धन दौलत के भूखे भेड़ियों की भूख
श्मशान तक में नहीं मिटती है,
इसीलिए खुश रहने की वजह भी
सबके नसीब में नहीं होती है।
जो वजह ढूंढ़ने के बजाय खुश रहना चाहते हैं
वे तो हर हाल में खुश ही नहीं मस्त भी रहते हैं,
और जो समय सुविधा से खुश रहने की वजह ढूंढते हैं
वे सिर्फ झुनझुना बजाते हैं,
सिर्फ दौड़ते भागते रह जाते हैं
और खुशी से बहुत दूर रह जाते हैं।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
© मौलिक स्वरचित

Read More

मनोरंजन
------------
मनोरंजन जीवन का अभिन्न अंग है
बिना मनोरंजन के बिना जीवन बदरंग है,
मनोरंजन तन और मन की थकान मिटाता है
नव उर्जा का संचार करता है,
मन जब हताश निराश होता है
अकेलापन और जीवन की दुश्वारियां
जब कचोटने लगती हैं,
तब मनोरंजन हमारे लिए दवा बन जाती है,
जब कोई नहीं साथ होता है
तब सुविधा जनक मनोरंजन ही
सबसे करीब होता है,
अकेले में भी मुस्कराने का अवसर देता है।
मनोरंजन के बिना जीवन
बिल्कुल मुरझाए फूल सा लगता है,
आज के युग में तो मोबाइल
मनोरंजन का बाप लगता है
हमारा हमराज बनता है।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
© मौलिक स्वरचित

Read More

जिंदगी के भंवर में
***************
जब आप मान ही रहे हैं
कि जिंदगी एक भंवर है
तो जिंदगी के भंवर में तैरते रहिए
हौसलों के साथ डूबते उतरवाते रहिए।
जिंदगी आपकी होकर भी आपकी नहीं है,
यह ईश्वरीय उपहार है,
उपहार का उपहास नहीं करते हैं
न ही नजर अंदाज करते हैं
इसलिए इसके साथ कभी खिलवाड़ न करिए,
जिंदगी के किसी हिस्से में आपका अधिकार नहीं है
जिसका अधिकार है
उसके अनुरूप ही जिंदगी को चलने दीजिए।
अनावश्यक ज्यादा बुद्धिमान बनने का
आप दुस्साहस न कीजिए,
बस जीवन का आनंद लीजिए,
जिंदगी के भंवर का उत्सव सा आनंद लीजिए
और जीवन जीने की नजीर पेश कर
औरों को राह दिखाइए और प्रेरणास्रोत बन जाइए,
जिंदगी का पर्याय बन जाइए।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
© मौलिक स्वरचित

Read More