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स्वतंत्रता दिवस की मंगल बेला आयी है, हर्षित-गर्वित मन प्रफ्फुलित पुरवाई है, चहक रही स्वाधीनता चहुँ ओर मुदित हो, राष्ट्र ने नव प्रभात की ली पुनः अँगड़ाई है। -आशा झा Sakhi
इश्क को बीमारी नहीं दवा की तरह लेते हैं तुम चाहो न चाहो तुमको अपना बना लेते हैं -आशा झा Sakhi
प्रेम की भाषा बोली जाती है नैनों से पढ़ी जाती है मौन से, महसूस की जाती है हृदय स्पंदन से -आशा झा Sakhi
💐💐 सुप्रभात💐💐 झरना कहता हमसे सीखो, नित आगे ही बढ़ते जाना पथ कितना भी दुर्गम हो, बाधाओं में भी मार्ग सुझाना हटा राह की कठिनाई को,पथ को सरल-सहज बनाना देकर जीवन आश्रितों को,प्रकृति का साथी बन जाना।। आशा झा सखी जबलपुर( मध्यप्रदेश) -आशा झा Sakhi
💐💐अनोखा इश्क💐💐 इश्क भी हमने अनोखा कर लिया बिना देखे ही तुमसे प्यार कर लिया तुमने कुछ न कहा,हमने सब सुन लिया तेरी चाहत को हमने शब्दों में गुन लिया। तुमने हमें चाहा,हमने धड़कन बना लिया बिना देखे ही तुझे,तेरा दीदार कर लिया आंखों के सिवा,लवों से इजहार न किया बिना कहें ही, इस दिल ने सब सुन लिया। दीवानगी का आलम न पूछो दिलवर तेरे अक्स को हमने आंखों में भर लिया दिल ने फरियाद की तुझसे मिलने की महसूस तुझे हमने दिन -रात कर लिया। न तुमने कुछ कहा, न हमने कुछ कहा तेरे प्यार को हमने आंखों में पढ़ लिया इश्क भी हमने अनोखा कर लिया बिना सुने ही तुमसे प्यार कर लिया।। -आशा झा Sakhi
ये लाली अधरों की तेरी चखना चाहता हूँ, सुर्खियां लबों की लवों में कसना चाहता हूँ, प्रेम की शिद्दत को करूँ प्रवाहित तेरे मन में, तुझे अपना बना सिर्फ तेरा होना चाहता हूं।।। -आशा झा Sakhi
यादों का मौसम आता है, प्रेम की फुहार दे जाता है तेरी यादों से भीगा ये मन,फिर ठौर कहीं न पाता है भटकता ही रहता है, तेरी यादों के आसपास और तेरे आलिंगन की चाह में, ये मन प्यासा ही रह जाता है। -आशा झा Sakhi
इजाजत तुम अगर दे दो,तेरी हमराज बन जाऊँ चुन लूँ काँटे राहों से, बन कर फूल बिखर जाऊँ इजाजत गर जो हो तेरी,तेरे जीवन को महकाऊँ बसा लूँ साँसों में ऐसे कि ,तेरी धड़कन में बन जाऊँ। इजाजत तुम अगर दे दो,तेरी मनमीत बन जाऊँ सजा दूँ तुझको गीतों से,तेरा संगीत बन जाऊँ अपने मन की वीणा से,प्रेम का गीत कोई गाऊँ बन कर प्रेम का सावन, मैं तुझ पर प्रेम बरसाऊँ। इजाजत तू अगर दे दे,तेरे अस्तित्व पर छा जाऊँ समा लूँ रूह में तुझको , कि तेरा प्रतिबिंब हो जाऊँ बसा दूँ घर मैं तेरा और, तेरी दुल्हन में बन जाऊँ तेरी दुनिया में आकर के,तेरी दुनिया बदल जाऊँ।। -आशा झा Sakhi
तू स्वप्न है मेरा, हकीकत हो नहीं सकता पर तुझको अपना कहना बस अच्छा लगता है। नहीं तू हाथों की लकीरों में पर तेरे नाम की हिना लगाना बस अच्छा लगता है। ख्यालों में तुम्हें सोचना एहसासों में तुमको जीना हर पल बस तेरे पास ही रहना बस अच्छा लगता है। आंखों में बसी तेरी छवि मनोहर बातें रस घोलती कानों में तेरी यादों में खुद को समेटना बस अच्छा लगता है। लाज भरा वो प्रथम समर्पण चाहत में सब किया तुमको अर्पण प्रेम पुष्प से तेरा वंदन बस अच्छा लगता है। -आशा झा Sakhi
कभी कोई अचानक ही, जीवन में चला आता है आता है कुछ ऐसे कि, बस ख्यालों में छा जाता है ख्यालों में छाकर वो, जीवन का अंग बन जाता है अंग बनता है ऐसे, कि बिना उसके कुछ न भाता है। कभी दिल का करार,तो कभी सुकून बन जाता है बेकरारियों में अब तो, नाम ही आराम बन जाता है बेसुरे से जीवन को, राग- रागनियों से भर जाता है उसका एक ख्याल ही, काव्य- सरिता बन जाता है। मन में उठते भावों को,स्वरबद्ध लय में पिरो जाता है शांत हृदय रत्नाकर में,सागर मंथन सा करा जाता है मंथन से निकले अमृत सम,प्रेम सुधा पान करा जाता है वो अजनबी मुझको, मेरी ही अलग पहचान बता जाता है। होकर अलग सा भी, मुझमें ऐसे शामिल हो जाता है मेरे अस्तित्व का ही, एक जरुरी सा अंग बन जाता है मैं हो जाती हूँ सिर्फ, उसकी ही और वो मेरा हो जाता है जीवनसाथी सा संग चलता, सच्चा हमसाफर बन जाता है।। -आशा झा Sakhi
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