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हाईकु विधा के प्रयोग का मेरे द्वारा एक छोटा सा प्रयास🙏 खिलते फूल आंगन थी खुशियां चलना गाँव कोरोना काल मजदूर पैदल मंजिल दूर उड़ती धूल पथिक घबराया रखता पग करते नाद नहीं हो निराश सत्ता के धीश भूखे उदर बाल स्वर कृंदन मन सन्ताप कैसे पहुँचे थक चुका बदन पुकारे घर हमें विश्वास पार होगी सड़क खुलेंगे द्वार संकट घड़ी अभिमान भारत हम हैं साथ राजीव कुमार गुर्जर मुरादाबाद✍🙏
"बीत जाय यह दु:खमय रजनी" उद्वेलित मन है करे ठिठोली, कब तक होगी आँख मिचौली,, चाल समय ने चली है अपनी, जग पर छायी दु:खमय रजनी। पशु पक्षी स्वतंत्र घूम रहे, वातावरण नव चेतन झूम रहे,, धरा सदा आराध्य जननी, क्यों आयी यह दु:खमय रजनी। अपने ही कुछ कर्मों का फल, भोग रहा है मानव प्रतिपल,, प्रकृति हुई है बहुत ही छलनी, आनी ही थी दु:खमय रजनी। संकट काल बड़ा है भारी, सावधान रहो बन धैर्यधारी,, मृत्यु पग पग ढूँढे ठगनी, बीत जाय यह दु:खमय रजनी। पर्यावरण से नाता जोड़ो, अहं लालसा अब सब छोड़ो,, परिस्तिथियों की सुन लो कथनी, बीत जाएगी दु:खमय रजनी। राजीव कुमार गुर्जर मुरादाबाद🙏✍
?कन्या- पूजन? नौ कन्या भी पूजन को, जहाँ नहीं मिल पाती है,, सौ दुर्गा लाने की गाथा, मन व्याकुल कर जाती है। पैदा होने से पहले ही, स्वकन्या मारी जाती है,, ना जाने इस देश में कैसे, माँ दुर्गा मानी जाती है।। अस्तित्व जहाँ पर नारी का, नित-नित तोड़ा जाता है,, नज़र मिला कैसे हम कह दें, माँ तुझसे मन का नाता है। पैरों में पहना के बेड़ी, पढ़ने को बोला जाता है,, बढ़ते कदमो को फिर उसके, हरपल रोका-टोका जाता है। बेटी को हम बेटे के जैसे, सम्मान व अवसर दे पायेंगे,, तब ही माँ दुर्गा का वन्दन, सफल सार्थक कर पायेंगे।। राजीव कुमार गुर्जर
दुश्प्रेरणा प्रेरणा ऐप्प के विरोध में नहीं हैं हम श्रीमान,, पर धीरे-धीरे खो रहा, शिक्षक का सम्मान। ऐप्प नहीं ये शुरुआत है, शिक्षा के निजीकरण की,, छवि शिक्षक की हो जाए, चोर व अकर्मण्य की। इंशा नहीं ये समझ रहे हैं, रोबोटिक मशीन हमें,, ना कोई दिक्कत, लेट ना हो, ना कभी जल्दी जाना पड़े। तीन दिन जो लेट हुए, नौकरी समझो चली गयी,, पैंशन नही पैसे से खाली, आगे कुछ भी बचा नही। सुविधाएँ विद्यालयों को देकर, मूल परिवर्तन ज़रा दिखलाओ,, कुछ अधिकार हमारे भी दो, कर्तव्यशीलता तब समझाओ। ई-एल, पैंसन, मुफ्त चिकित्सा, भ्रष्टाचार मुक्त विभाग चले,, ड्रेस मिड ड़े व कोई वितरण, गैर कार्य ना हमको मिलें। सेल्फ़ी ले लो साहब हमारी, पर क्यों सबकी जिम्मेदारी लें,, बच्चे, SMC, समूह, प्रधान, अभिभावक भी जबावदेह बने। हानी जब-जब होती है, शिक्षक के सम्मान की,, राष्ट्र-समाज का पतन है होता, साक्षि है इतिहास भी।। राजीव कुमार गुर्जर(प्र0अ0) प्रा0 वि0 बहादुरपुर राजपूत वि0 खंड कुंदरकी (मुरादाबाद)
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