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श्री वृंदावन बिहारी लाल की जय... श्री बांके बिहारी लाल की जय...... हे गिरधर, हे गोपाल.....
अभी हाल ही में shady art studio के बैनर तले और निर्माता भूपेन्द्र वत्स के द्वारा रिलीज की गई फ़िल्म ' द राइज ऑफ हनुमान' का टीजर यानी फिल्म की पहली झलक को दर्शकों के लिए रिलीज कर दिया गया है | फिल्म का ट्रेलर फिल्म भी जल्द ही रिलीज किया जाएगा | फिल्म के टीजर की समीक्षा की जाए तो इस फिल्म में मुख्य किरदार की भूमिका निभाते हुए नजर आने वाले पात्र का अभिनय और उनकी वेषभूषा दर्शकों को काफी पसंद आ रहा है | फिल्म की कहानी क्या होने वाली है ये तो फिल्म के ट्रेलर रिलीज होने के बाद ही पता चलेगा | फिल्म की कहानी को लेकर इस फिल्म के निर्माता भूपेन्द्र वत्स ने अभी सस्पेन्स बना कर रखा हुआ है | इस फिल्म के टीजर में VFX का काम काफी अच्छे ढंग से किया गया है | इसी के साथ बैकग्राउंड संगीत भी अच्छा है | जिसे सभी दर्शक काफी पसंद कर रहे हैं | टीजर के अंत में किसी अलग जानवर को भी दिखाया गया है | आखिर कौन होगा वो??? फिल्म में दर्शाए गए सभी VFX और अभिनय देख कर कहा जा सकता है कि यह फिल्म दर्शकों को काफी पसंद आने वाली है | बता दें कि यह फिल्म यूटयूब पर ही रिलीज होगी |
कल यानी 26 जुलाई को सनी देओल की आने वाली फिल्म (गदर 2) का ट्रेलर लॉन्च कर दिया गया है | इस फिल्म के ट्रेलर लॉन्च होने का सभी दर्शक लंबे समय से इंतजार कर रहे थे , वो (दर्शक) जानना चाह रहे थे कि आखिरकार इस बार फिल्म की कहानी क्या होने वाली है? कल ट्रेलर लॉन्च करने के बाद फिल्म के निर्माता (अनिल शर्मा) ने दर्शकों का यह लंबा इंतजार अतंत समाप्त किया | आखिर फिल्म की कहानी क्या होने वाली है????? फिल्म की कहानी शुरू होती है सन् 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले युद्ध से | जहां सभी ओर Crush India और अगले शुक्रवार , दिल्ली हमारी होगी के नारे लगाए जाते हैं | यहां फिल्म के एक सीन में सनी देओल यानी तारा सिंह किसी को यह बताते हुए नजर आते हैं कि 'तुम जानते हो तारा सिंह कौन है, जाकर दुश्मनों से पूछो मेरे बारे में' | फिल्म में एक बार फिर सनी देओल (तारा सिंह) के साथ में अमीषा पटेल यानी सकीना नजर आने वाली है और उनके साथ उत्कर्ष शर्मा भी लीड रोल में दिखाई देंगे,जो उनके बेटे (जीते) का किरदार निभाएंगे | उत्कर्ष शर्मा वही है जिन्होनें गदर में सनी देओल (तारा सिंह) और अमीषा पटेल ( सकीना) के बेटे का किरदार निभाया था | फिल्म में तारा सिंह का दमदार रूप एक बार फिर देखने को मिलता है जब अपने बेटे को बचाने जाते हैं | फिल्म में दमदार डायलॉग भी देखने को मिलेंगे | अब बात करे फिल्म के संगीत की तो एक बार फिर दर्शकों को 2001 में आई गदर फिल्म के गीत सुनने को मिलेंगे, जैसे.... उड़ जा काले कावा, मै निकला गड्डी लेके..... और कुछ नए गीत भी होंगे | बता दें कि अनिल शर्मा के निर्देशन में बनी यह फिल्म 11 अगस्त को यानी स्वतंत्रता दिवस से 4 दिन पहले सिनेमाघरों में रिलीज होगी | अब देखना यह होगा कि दर्शकों को कितनी पसंद आने वाली है गदर 2.......
फिल्म डिवीजन...... भारत सरकार का अपना एक अलग फिल्म प्रभाग है, जो सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन कार्य करता है | इसे स्वतंत्रता प्राप्ति के वर्ष बाद ही यानी 1948 को, मुंबई में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के द्वारा स्थापित किया गया था | फिल्म प्रभाग की ओर से अनेक वृतचित्र (डॉक्युमेंट्री फिल्में) और समाचार चित्र तैयार किए जाते हैं | इनका प्रदर्शन प्रत्येक सिनेमाघरों के लिए आवशयक हैं | प्रदर्शन नहीं करने पर सिनेमाघरों के मालिक को दंडित किया जा सकता हैं | इसके माध्यम से राष्ट्र के विभिन्न कार्यों में लगे लोगों को भाग लेने के लिए उन्हें प्रेरित करते हुए तथ्यों, घटनाओं एवं राष्ट्र की विभूतियों की निष्पक्ष तस्वीर प्रस्तुत करना है | इसके अतिरिक्त देश के महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे सामाजिक, आर्थिक पहलुओं पर और राष्ट्रीय एकता, अस्पृश्यता उन्मूलन तथा परिवार कल्याण आदि अनेक मुद्दों पर जानकारी देना है | विदेशों में दिखाने के लिए फिल्म प्रभाग द्वारा निर्मित फ़िल्मों का उद्देश्य देश की यथार्थवादी तस्वीर प्रस्तुत करना और विदेशों में देश की नीतियों का उपयूक्त मूल्यांकन प्राप्त करना है | इसके अलावा प्रभाग का एक और उद्देश्य शिक्षा, संचार माध्यम के रूप में वृतचित्रों को समृद्ध एवं विकसित करना भी है | फिल्म प्रभाग ने सरकार की नीतियों कार्यक्रमों को ध्यान में रखते हुए कई फ़िल्मों का निर्माण किया हैं | कृषि, शिक्षा, बिजली, उत्पादन आदि क्षेत्रों और आदिवासी तथा पूर्वोत्तर क्षेत्रो के निवासियों के विकासार्थ चलाए गए कार्यक्रमों का प्रचार करने के लिए फिल्मों के निर्माण के अलावा राष्ट्रीय महत्व की सामाजिक, आर्थिक समस्याओं, राष्ट्रीय एकता, साम्प्रदायिक सद्भाव, मदपान की बुराईयां, दहेज प्रथा, अस्पृश्यता, लोकतंत्र की रक्षा करना, देश भक्ति, परिवार कल्याण आदि विषयों पर फिल्मों का निर्माण हो चुका है फिल्म प्रभाग ने पाक्षिक समाचार पत्रिका का निर्माण जारी रखा है | रंगीन समाचार चित्र तैयार करके प्रदर्शन के लिए जारी किए जाते हैं | इसी के साथ फिल्म प्रभाग द्वारा दूरदर्शन के लिए भी समाचार चित्र तैयार किए जाते हैं | बता दें कि फिल्म प्रभाग में 17 विदेशी न्यूज रील संगठनों के साथ समाचारों के आदान प्रदान की पूरी व्यवस्था है | भारत सरकार का फिल्म प्रभाग अंतर्राष्ट्रीय न्यूज रील और न्यूज फिल्म एसोसिएशन का सदस्य भी हैं | कार्टून, फिल्म प्रभाग में एक अलग इकाई है | प्रभाग के पास वृतचित्रो और समाचार चित्रों के एनीमेशन तैयार करने के अतिरिक्त प्रत्येक वर्ष चार कार्टून फिल्मों के निर्माण के लिए स्टाफ तथा उपकरण उपलब्ध हैं |
अरूणिमा का सफर........ अरूणिमा सिन्हा, जो देश की पहली दिव्यांग महिला पर्वतारोही हैं जिन्होंने दुनिया के सबसे ऊंचे शिखर पर पहुंच कर सभी को अपने साहस और शौर्य से अभिभूत कर दिया | आज उन्हीं साहसी अरुणिमा सिन्हा का जन्मदिवस है | अपने लक्ष्य को प्राप्त कर उन्होंने लोगों को यह बताया कि दिल में अगर लक्ष्य को पाने का जुनून हो तो हिम्मत एवं मेहनत से सब कुछ हो सकता हैं, कोई भी व्यक्ति कुछ भी कर सकता हैं | बता दें कि अरुणिमा सिन्हा एक पर्वतारोही होने से पूर्व वे राष्ट्रीय स्तर पर वॉलीबाल प्लेयर भी रही थी | उनका जन्म उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में हुआ था |उन्हे बचपन से ही खेलों के प्रति अत्यधिक रूचि थी | लेकिन 11 अप्रैल, 2011 को हुए एक रेल हादसे ने उनके जीवन की दिशा को बदल कर रख दिया| 2011 को हुए रेल हादसे में उन्होनें अपने पैर गवां दिए थे | उस दुखद हादसे के कुछ समय बाद उन्होंने अपने आप को एक बार फिर खड़ा किया और लोगों के तानों का जवाब देने का भी मन बना लिया | उन्होनें देश की पहली महिला पर्वतारोही बछेंद्री पाल जी के नेतृत्व में माउंट एवरेस्ट फतह किया | माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना कोई आसान काम नहीं है | वहां पहुंचना एक असंभव कार्य की तरह होता है | सबसे पहले उस ऊंचे शिखर पर चढ़ पाना ही बहुत जोखिम भरा है | फिर वहां ऑक्सीजन की कमी भी विद्यमान रहती है और तापमान मे भी काफी गिरावट पाई जाती हैं , यह भी एक बड़ी समस्या है | ऐसे में अरुणिमा सिन्हा को भी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होनें अपने अंदर आत्मविश्वास पैदा कर हिम्मत और लक्ष्य को पाने की जिद के चलते माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फैरा ही दिया | अरूणिमा सिन्हा को देश के प्रधानमंत्री द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है | अरूणिमा सिन्हा की कहानी सभी के लिए प्रेरणा का स्तोत्र बन चुकीं हैं | उनकी कहानी, जीवनगाथा सब को यह बताने में सफल हुई हैं कि अगर दिल में अपने लक्ष्य को पाने का जुनून है तो सब कुछ मुमकिन है, कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है | व्यक्ति अपने शरीर से इतना कमजोर नहीं होता जितना कि उसका मन उसे बना देता है | अपने मन को मजबूत किया जाए तो हर राह आसान है | कहते हैं न जहां चाह वहां राह......... अरुणिमा सिन्हा ने माउंट एवरेस्ट के अतिरिक्त अफ्रीका की माउंट किलीमंजारो और यूरोप की अलब्रस चोटी पर तिरंगा फहराया | शौर्य और साहस की मिसाल है डॉ ० अरूणिमा सिन्हा | अपने आत्मविश्वास से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने वाली साहसी हैं अरुणिमा सिन्हा...... इंसान अगर चाहे तो वह सब कुछ पा सकता हैं, बस दिल में लक्ष्य को पाने का हो जूनून एवं जिद हो तो और कर लो आसमां मुठ्ठी में बंद...........
धनराज पिल्लै जी...... आज भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान धनराज पिल्लै जी की जन्मतिथि है | आज ही के दिन उनका जन्म 16 जुलाई,1968 को महाराष्ट्र के खड़की में तमिल के पिता नागालिंगम पिल्ले और माता अंदालम्मा पिल्ले के पुत्र के रूप में हुआ | अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने अपने हॉकी के करियर की शुरुआत 1989 में नई दिल्ली मे आयोजित एल्विन एशिया कप में देश के प्रतिनिधि के रूप में की | उनका हॉकी करियर 1989 से 2004 तक रहा | इस बीच उन्होंने 339 मैच खेले | धनराज पिल्लै जी एकमात्र ऐसे खिलाड़ी थे, जिन्होंने चार ओलंपिक खेलो, चार विश्व कप, चार चैंपियंस ट्रॉफी और चार एशियाई खेलों में भाग लिया था | भारत ने उनकी कप्तानी में एशियाई खेलों में जीत हासिल की थी | वर्ष 1999 - 2000 में उन्हें खेल का सर्वोच्च पुरुस्कार, राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार (जो अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से जाना जाता है) से सम्मानित किया गया है | इसी के साथ मे उन्हें खेल के अर्जुन पुरुस्कार से भी नवाजा गया | 2000 में उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया है | इस समय धनराज पिल्लै जी भारतीय हॉकी टीम के प्रबंधक है |
आज मिशन चंद्रयान 3 लॉन्च होने जा रहा है| अब बस कुछ ही समय बाद मिशन चंद्रयान 3 को लॉन्च किया जायेगा | पूरे विश्व की नजर इसरो के इस चंद्रयान मिशन पर है| भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की भी नजर इस मिशन पर है| अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने फ्रांस के दौरे पर है और आज उनके फ्रांस दौरे का दूसरे दिन है| वहीं से वे चंद्रयान मिशन पर अपनी नजर रखेंगे| बता दें कि चंद्रयान 3 को श्री हरिकोटा से लॉन्च किया जायेगा और इस मिशन को ऋतु वाधकर नेतृत्व कर रही हैं| यह भी बताया जा रहा है कि 50 दिनों के अंदर चंद्रमा की दक्षिण ध्रुव सतह पर पहुंचने में सफल हो जाएगा| बस अब कुछ समय का और इंतजार, फिर चंद्रमा पर होगी जीवन की पहचान ....... जय हो
मां के बिना सब अधूरा......... मां.......वो है जिनके मधुर गीतो से ही सवेरा नई उमंग और रोशनी लाता है और उनकी मीठी लोरी रात में कई सुंदर सपने ला देती है जो बालक को एक नई दुनिया में ले जाती है। मां हर बालक का प्रथम गुरु और प्रथम मित्र होती है। जो बालक को हर छोटी बडी मुसीबत से लडने की हिम्मत व ज्ञान प्रदान करती है। मां के साथ के बिना घर संपूर्ण नहीं होता। घर में अगर मां के चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान न दिखाई दे और उनकी प्यार भरी डांट सुनने को न मिले तो घर बहुत सूना सा लगता है। मां की डांट में बच्चो के भविष्य की चिंता छिपी होती है। जैसे माता यशोदा का भगवान श्रीकृष्ण को माखन चुराने पर डांटना और उनसे रुठ जाना फिर श्रीकृष्ण का उन्हे मनाना। यह एक मां और बालक के बीच अपार प्रेम को दर्शाता है। मां का आशीर्वाद बालक को हर बडी से बडी मुसीबत से बाहर निकालने में सहायता करता है। मां का साथ हो तो हर मुश्किल आसान लगती है। कहते है ' मां के चरणो में स्वर्ग होता है' और यह बात पूर्णत: सत्य भी है, यदि मां का आशीर्वाद प्राप्त हो जाए तो सामने चाहे कितना ही बडा युद्ध क्यों न हो, उसे जीता जा सकता है। मां सबसे बडी योद्धा होती है। कोई भी कार्य आरंभ करने से पूर्व मां के चरण स्पर्श अवश्य करने चाहिए। मां कभी बालक का बुरा नहीं चाह सकती। दिन रात उन्हे हमेशा बच्चो की चिंता रहती है। वो बच्चे के लिए हर दुख दर्द सहन कर लेती है।हर मां का यही सपना होता है कि बच्चा सदैव सही राह पर चल कर अपनी मंजिल को प्राप्त कर सके। मां के बिना हर पल अधूरा सा होता है। जहाँ मां हमेशा मुस्कुराती रहे, वो जगह स्वर्ग के समान होती है। मां का स्थान सबसे उंचा होता है। कई कवियो और लेखको ने मां के प्रेम को अपनी कलम से लिखने का प्रयास किया है। मां की सेवा अर्थात भगवान की सेवा। मां का अपमान अर्थात भगवान का अपमान। हमेशा यही प्रयास होना चाहिए कि मां हमेशा मुस्कुराती रहे उन्हे कोई दुख न हो। इस बार 2023 में अंतर्राष्ट्रीय मातृ दिवस 14 मई को है, लेकिन क्या कोई दिन मां के बिना पूर्ण हो सकता है? हर दिन मां के प्रेम से शुरु होकर उनके मीठी लोरी पर ही पूर्ण होता है। मां का प्रेम सारे जग से उंचा होता है। मां के बिना कोई और उनकी कमी को पूर्ण नही कर सकता।
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