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Poonam Gujrani Surat

Poonam Gujrani Surat Matrubharti Verified

@poonamgujraniterapanthpre1110
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सावन के सुहाने मौसम को समर्पित मनभावन पांच दोहे ❤️❤️
दोहे
सावन की रिमझिम झङ़ी, खिला धरा का गात।
नदियां सागर हो गई, प्रेम बहे दिन रात।।

सावन आया देखकर, कोयल गाती गीत।
बादल, बरखा,मलय से, जन्म जन्म की प्रीत।।

कोंध रही है बिजलियां, चले हवा झकझोर।
भीगे पंछी सोचते ,जाऊं मैं किस ठोर।।

सोना निपजेगा यहां, धरा करे रसपान।
बारिश से चौङ़ी हुई, कृषक की मुस्कान।।

इंद्रधनुष को देखकर , करते बच्चे शोर।
तितली डोले बाग में , जंगल नाचे मोर।।

©डॉ पूनम गुजरानी

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कविता
‌ चिठ्ठी

चलो फिर से
एक चिठ्ठी लिखी जाये
शब्द शब्द में
धोल दी जाये
प्रेम की मिठास
थोङ़ा हास, परिहास
दिल का हाल
नि:संकोच सुनाया जाये
चलो फिर से
एक चिठ्ठी लिखी जाये।


नील गगन से कागज पर
धरकर दर्द की दौलत
अल्फाजों में
आंखों से बरसते सावन को
छुपाकर रुमाल में
सलीके से एक गुलाब
उगाया जाये
चलो फिर से
एक चिठ्ठी लिखी जाये।

बीत गये किस्सों को
फिसल गये रिश्तों को
छूट गये अपनों को
टूट गये सपनों को
फिर से संभाला जाये
चलो फिर से
एक चिठ्ठी लिखी जाये।

चलो बुहार दें खामोशी
स्थापित करें
सम्बन्धों के शहर
कायम रहे
संवादों के पुल
अपनेपन की गीली माटी में
प्रेम की पौध उग आये
चलो फिर से
एक चिठ्ठी लिखी जाये।

सिरहाने रखकर जिसे
सो सकें चैन की नींद
देख सकें बेखौफ
मासुमियत से भरे सपने
पी सके जी भरकर अमृत
होठों पर बस
एक मुस्कान थिरक जाये
चलो फिर से
एक चिठ्ठी लिखी जाये।

©डॉ पूनम गुजरानी

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एक मतला एक शेर 🙏🙏

रेजा-रेजा,बिखरा-बिखरा आलम रहता है,
पाकीजा है इश्क मेरा किरदार कहता है।

अक्सर छल जाते हैं मुझको मेरे ही सपने,
अॉसूं, तन्हाई, रुसवाई दिल ये सहता है।

©डॉ पूनम गुजरानी

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#विश्व_शरणार्थी_दिवस

फरिश्ता

हर वो शख्स
फरिश्ता हो सकता है
जो जानता देना....
कभी कंधा
कभी रोटी
कभी दवा
बचा लेता है प्राण
अस्मिता....
बांटता है दुःख, दर्द, तकलीफ....
मानता है हर प्राणी को
स्वयं के समतुल्य
बनना फरिश्ता
बहुत मुश्किल तो नहीं
ए दोस्त....
बस जरुरी है
संवेदना....
इसे बचाए रखना
ये पूरा करवाएगी
इंसान से फरिश्ते
तक का सफर....।

©डॉ पूनम गुजरानी

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शेर
गीत, गजल, शब्दों, भावों में खुशबू बनकर बिखरी हूं,
मुस्कानों के शिखरों पर हम मौत का खौफ सजाएं क्यों।

डॉ पूनम गुजरानी

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#मन की बात

सपनों को
पूरा करने
की कोशिश
दुनिया की श्रेष्ठतम
सच्चाई है

डॉ पूनम गुजरानी

मुक्तक
इश्क के दिलकश अफसाने पर जब मैनें इजहार लिखा
कोरा कागज,प्रेम सियाही से अपना किरदार लिखा
अहसासों का ओढ़ दुपट्टा मन ही मन मैं शरमाई
इक दिल की जागीर लुटाकर इक दिल पर अधिकार लिखा।

डॉ पूनम गुजरानी

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एक मुक्तक आपके हवाले ❤️❤️

जिसकी उम्र कभी ना घटती उसका नाम मुहब्बत है,
जिसकी आस कभी ना मिटती उसका नाम मुहब्बत है,
ये दौलत है ऐसी जिसको कोई लूट नहीं सकता
जिसके दम से दुनिया टिकती उसका नाम मुहब्बत है।

डॉ पूनम गुजरानी

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#7दोहे - #मटकी पर

माटी मटका रूप धर, करता बङ़ा कमाल।
धरे कमर पर गोरङ़ी , हो गया मालामाल।।

माटी पानी में मिले, सहन करे फिर आग।
सबकी प्यास बुझाय फिर,गाए शीतल राग।।

गागर में सागर भरे , पनिहारिन घर जाय।
तृप्ति दे परिवार को, सुख स्वर्ग सा पाय।।

माटी जब मटका बने, कीमत करते लोग।
मिहनत करते जो यहां, उसे मिले संजोग।।

दो गागर माथे धरी, दो गागर धर हाथ।
ठुमक चले पनिहारियां, बातें सखि के साथ।।

नेह नीर सा राखिए, बूंद बूंद अनमोल।
इसके बिन जीवन नहीं, लो अंतर्मन तोल।।

डॉ पूनम गुजरानी

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गज़ल

तुमको पास बुलाती आंखें,
ख्वाबों को दुलराती आंखें।

जब भी तीर चलाती दुनिया,
हमको बहुत रुलाती आंखें।

अपना दरपन देखो पहले ,
नुक्स कई दिखलाती आंखें।

महफ़िल में बैठे हैं हम-तुम,
सबको भेद बताती आंखें।

भीतर बैठा एक अजाना,
उससे भी मिलवाती आंखें।

आंखों की भाषा समझो तो,
गणित कई सुलझाती आंखें।

सारे जग को प्यारी 'पूनम'
बच्चों की मुस्काती आंखें।

डॉ पूनम गुजरानी
सूरत
poonamgujrani@gmail.com

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