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Paramjeet Kaur

Paramjeet Kaur

@paramjeetkaur37091gmail.com061138
(2)

रिश्ते


ना पहले जैसा प्यार रहा,,
ना पहले जैसी यारियां।
ख़ून का रंग भी फीका पड़ गया,,
बस मतलब की जिंदा साझेदारियां।
भाई भाई भी मेहमान हैं एक दूसरे के,,
यह समय ने कैसा रंग दिखाया है।
बदल गया हम रिश्ता यारों,,
जब से कलयुग आया है।
इन रिश्तों के भी अजीब ही नखरें हैं,,
जब मन‌ किया रूठ जाते हैं।
ना जाने क्यों भर जाता है दिल,,
फिर हाथ से छूट जाते हैं।
जब तक चुप रहो,,
रिश्ते भी सुलझे रहते हैं।
जिस दिन सूना दिया ज़रा सा,,
उसी दिन से उलझे रहते हैं।
निभायें अगर कोई शिद्दत से,,
यह रिश्ते सिर का ताज है।
याद रखना जिंदगी भर,,
रिश्ते मौके के नहीं,, भरोसे के मोहताज है ।
महकते रहे रिश्ते उम्र भर,,
इस लिए रिश्तों में बात जरूरी हैं।
दिल से दिल की सांझ बने,
इस लिए कभी कभी एक मुलाकात जरूरी हैं।
कभी चोट लग जाए अगर रिश्तों में,,
आगे बढ़कर मरहम लगाइए ।
जरूरत पड़े अगर रिश्तों की खातिर,,
हक से दो थप्पड़ भी लगाइए ।
ख्वाहिशों से भरे पड़े हैं दिल सबके,,
इस लिए रिश्ते थोड़ी सी जगह के लिए तरसते हैं।
रिश्तों में साझेदारियां तो एक ख्वाब हैं,,
सबके दिलों में जलन के बीज पनपते हैं।

✍️✍️✍️परम 🌹💚

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रंग बदलते रिश्ते


दुनिया को और जिंदगी को,,,
हमने बहुत करीब से देखा है।
मुसीबत के उस वक्त में,,
हमने हर रिश्ते को बदलते देखा है।
जो हाथ पकड़कर चलते थे,,,
जरुरत पड़ने पर पीठ दिखाते देखा है।
अनजान थे मतलबी दुनिया से,,,
जब जिंदगी हम पर बेरहम हूई।
फिर सब रिश्तों का सच सामने आ गया,,,
जब हिम्मत और मुसीबत की टक्कर हूई।
हौसलों हम ने भी बुलंद रखें,,,,
टकराकर हमसे हर मुसीबत की हार हुई।
जो अपनापन जताते थे,,,
समय आने पर रंग दिखा गये।
कौन अपना कौन पराया है,,
रिश्तों की पहचान करना सीखा गये।
फिर भी एक शुक्रिया उनको,,,,
जो हमें "मतलब"का मतलब समझा गये।
यह जिंदगी भी तो एक पहेली थी,,,
पर हमने सब्र करते करते सुलझा लिया।
लड़ते लड़ते अपनी किस्मत से ,,
हमने अपनी मंजिल को पा लिया।
जो आता है आयें और जिसको जाना है वो जाये ,,,
हमने तो अपना मन समझा लिया।
जो दिल से साथ निभाते हैं,,,
वोही दिल में रहते हैं।
दोगले लोगों से अब ना कोई वास्ता है,,
जो मतलब के लिए अपना कहते हैं।
जिस जिस ने भी हमें संभाला था,,,
उनकी मुश्किलों में हम भी साथ खड़े रहते हैं।

✍️✍️ परमजीत 💜❤️

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स्त्री,,,,एक शक्ति


क्या क्या लिखूं मैं स्त्री पर,,
यह तो हर रिश्ते की नींव है।
सब रिश्तों को चले समेटकर,,
इसका आंचल इतना असीम हैं।
जिस घर में स्त्री का साया है,,
वो तो सबसे खुशनसीब हैं।
खुद को ही भुला देती,,
पर बदले में ना ज्यादा कुछ चाहती है।
अपने हर बलिदान बदलें,,
थोड़ा सा प्यार और,,
थोड़ा सा सम्मान ही तो चाहती है।
यह स्त्री ही तो है,,
जो ईंट पत्थर के मकान को घर बनाती हैं।
बच्चों से लेकर बड़ों तक ,,
हर रिश्ता जी जान से निभाती हैं।
जरूरत पड़े अगर कभी जिंदगी में,,
घर का मर्द भी बन जाती हैं।
कितना भी कर लें हम औरतें,,
कुछ ना कुछ तो रह जाता हैं।
ऐसा भी क्या करती हो,,,
एक दिन अपनों से ही सुनना पड जाता हैं।
कैसे बताऊं उस दर्द को,
जो अपनों का छोटा सा ताना दें जाता हैं।
चलो इस सवाल का ,,
आज ज़वाब में देती हूं।
सुनना सब ही गौर से,,
अब जो में कहतीं हूं।
तुम कहते हो ना के,,,,,,,,,,
दिन भर में ऐसा क्या करती हूं,
जो थके रहने की शिकायत करती हूं।
तो सूनों,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
दिन भर में भागती हूं,,
ता कि आप आराम से रह सको,,
करने को तो इतना करती हूं बस ,,,
के आप इस मकान को घर कह सकों।

✍️✍️✍️✍️ परमजीत 💚🌹💚

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मैं हूं आज मुसीबत में,,
आओ कह कर देखते हैं।
कौन आता है मदद के लिए,,
और कितने दूर से तमाशा देखते हैं।
गिने चुने ही कुछ रिश्ते होंगे,,,
जो तेरे चेहरे को पढ़ पायेंगे।
और उनकी ना कोई गिनती होगी,,
जो तेरे दर्द का जश्न मनायेगा।✍️✍️परम 🌹

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दिल के रिश्ते


हमारी जिंदगी में बहुत कम ऐसे लोग आते हैं,,
जो हमारी अनकही सी बातें भी सुन पाते हैं।
हमारी आवाज़ से जो महसूस कर लें दर्द को,,
बहुत कम लोग हमारी आंखों की खामोशी पढ़ पाते हैं।
"कुछ नहीं" सब ठीक है हम जब जब कहे,,
वो "कुछ नहीं" के पीछे "बहुत कुछ" को समझ जाते हैं।
कांधे पर हाथ रखते हैं जो हर मुश्किल में,,,
अकेलापन में जो अपनेपन का अहसास करवाते हैं।
सब रिश्तों के उपर है जो,,,
शायद यही लोग सच्चे दोस्त कहलाते हैं

✍️✍️✍️ परमजीत 💚💚🌹🌹

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पत्नी ऐसी हो जो मां जैसा प्यार जताएं,,
और पति ऐसा हो जो बाप की कमी को पूरा कर पाएं
अगर दोनों का ऐसा संगम हो,,
जिंदगी जीते जी जनत बन जाए
✍️✍️✍️ परम 🌹🌹

-Paramjeet Kaur

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मत कर गुरुर पैसे का,,,
आज हैं कल चला जायेगा।
आख़री मंजिल तो तेरी श्मशान हैं,,
उस मुकाम तक तुम्हें इन्सान ही लेकर जायेगा।

✍️✍️परम 🌹

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नारी,,,

पता नहीं क्यों,
लोग कहते हैं कि,,
नारी तो बेचारी हैं।
जब के उसके हाथ में,,
घर की डोर सारी है।
सास ससुर और पति का साथ,,
बच्चों की भी निभाती जिम्मेदारी है।
शायद इसीलिए कहते हैं,
कमजोर अबला इसको,,
क्योंकि जब भी हारी,,
रिश्तों से ही हारी है।
बराबरी का हक तो,,
महज़ एक ख्वाब हैं,,
अपने अस्तित्व से जंग तो,,
अब भी जारी है

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Love letter,,,,,,, एक बहन का भाई को



अपने जज्बातों को लिख रहीं हूं,,,
मेरे भाई जरा गौर से पढ़ना।
सब से पहले तो एक विनती है,,,
बूढ़े मां-बाप को कभी खुद से दूर ना करना।
जैसे हमको प्यार से पाला है,,
तूम भी बुढ़ापे में वैसे ही उनकी परवरिश करना।
अपने जज्बातों को लिख रहीं हूं,,,
मेरे भाई गौर से पढ़ना।
जब चलें जाएंगे वो दुनिया से,,,
भाई के साथ मेरे पिता भी बन जाना।
मैं ना मांगती हिस्सा तुमसे,,,,
बस प्यार से गले लगाना।
यूं तो मां की जगह नहीं कोई ले सकता,,,
फिर भी भाभियों से मां जैसा प्यार दिलाना।
मानती हूं आपका भी घर परिवार है,,,
फिर भी कभी कभी फोन पर,,
बेटी समझकर प्यार जताना।
मेरा भी मान बना रहेंगे सुसराल में,,,
बस साल में एक दो बार मिलने चले आना।
हाथ रखकर सिर पर भाई,,,
थोड़ा अपनेपन का अहसास कराना।
जाते जाते फिर एक बार,,,
गोद में बिठा कर लाड़ लड़ाना।
आयें अगर कोई मुसीबत मुझ पर,,,
मेरे साथ खड़े हो जाना।
कोई ग़लती मुझसे कभी हो जाये,,,
थोड़ा डांटना और थोड़ा प्यार से समझाना।
मुझे भी तो अच्छा लगेगा ,,,
आपका यूं मुझ पर हक़ जताना।
ज्यादा तो नहीं मांगती,,,
बस मायके में बनता हक दिलाना।
चलें जाएंगे जब मां बाप दुनिया से,,,
भाई के साथ मेरे पिता भी बन जाना।


✍️✍️✍️ परमजीत 💚💚

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