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Megha Rawal

Megha Rawal

@megharawal1035


કાન્હા
ઉત્સવમાં હું કૃષ્ણ છું, ઉત્સવમાં હું કૃષ્ણ છું
ને પ્રેમમાં રાધા રાણી !!!
મૈત્રી મારી સુદામા જેવી!
અર્ધાંગિની હું રુકમણી,
કણ કણ મા તું, તારી રજકણમાં હું,.
કણ કણમાં તું તારી રજકણમાં હું.
જીવન સફર મારો વાંસળી તારી!!!
ક્યાંક રોકાવું તો ક્યાંક લહેરાતી નારી.
ઉત્સવમાં હું કૃષ્ણ છું અને પ્રેમમાં રાધા રાણી.
સચ્ચાઈ એ જ ધર્મ મારો,
લાગણી તારી ને વેદના મારી!!!
આત્મસન્માન જ્યારે ઘવાય તો?????
હું જ સુદર્શન ધારી!!!!!
ઉત્સવમાં કૃષ્ણ છું ને પ્રેમ માં રાધા રાણી!!!!!!!
કે ઉત્સવ માં હું કૃષ્ણ................
મેઘા....

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हां मैं तुम जैसा नहीं पर तुम सा ही हूं
तुम प्रत्यक्ष तो मैं तुम्हारा अक्स
हां मैं तुम जैसा नहीं पर तुम सा ही हूं
कोई बंदीश नहीं खुले आसमान में तुम्हारी उड़ान को,
मैं भी उड़ तो लूं कोई रंजिश तो नहीं!!!!!!
हां मैं तुम जैसा नहीं पर तुम सा ही हूं तुम प्रत्यक्ष तो मैं तुम्हारा अक्स
यूं तो कुदरत का हे करिश्मा दिखता है तुम में और मुझ तू
फिर मेरे जज्बातों की ही नुमाइश हो क्यों?????
हां मैं तुम जैसा नहीं पर तुम सा ही हूं तुम प्रत्यक्ष तो मैं तुम्हारा अक्स हां मैं तुम जैसा नहीं पर तुम सा ही हूं।
सदियों से बहती आ रही वो प्रचंड धारा
मुझ में ही मोहिनी, बृहंल्ला, शिखंडी का ताज।
अग्नि पथ पर चलते मैं ही क्यों नीलकंठ बना!!!!!!
तुम हो प्रत्यक्ष तो मैं तुम्हारा ही अक्षर हूं हां मैं तुम जैसा नहीं पर तुम सा ही हूं
है बस इतनी ही सी ख्वाइश
मेरे विचार, मेरी उड़ान,वह अपनापन ,मेरी पहचान से मैं वंचित क्यों
हां मैं तुम जैसा नहीं पर तुम सा ही हू।
तुम प्रत्यक्ष तो मैं तुम्हारा अक्स
हां हां मैं तुम जैसा नहीं पर तुम सा ही हूं।

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रुख बदला सा है आज इन फिजाओं का।
रुख बदला सा है आज इन फिजाओं का।
मेरे तिरंगे पर हल्की हल्की सफेदी सी आई है।
लहरा के तू ने पूरे विश्व में,
वीर सपूतों की गाथा गाई है।
ना भूले हैं, ना भूलेंगे तेरी आजादी की तेरे स्वाभिमान की कीमत चुकाई है।
हर गलियों ,चौराहों पर गूंज उठी तेरी उचाई है।
अखंड भारत की हमने भी कसम खाई है।
तुम्हें लहरा हूं मैं आज बड़े मान और सम्मान से।
और गुनगुनाओ बड़े ही अभिमान से,
हर घर तिरंगा घर-घर तिरंगा
मेरी जान तिरंगा मेरी आन तिरंगा मेरी शान तिरंगा
हर घर तिरंगा घर-घर तिरंगा
भारत माता की जय
वंदे मातरम
मेघा....

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ચાહ ની ચાહત હતી......
ચાહ ની ચાહત હતી.
કોઇ મને ચા પીવડાવી રહ્યું!!!!!!!
હવે શું?????
ચા થી  ચાહના!!!!!!!
મેઘા....☕

वक्त की गुलक हाथ से फिसल पड़ी!!!
और!!! कुछ यादें बिखर गई।(२)
पांच पैसा जैसा मेरा वो बचपन,
चेहरे पे मेरी मुस्कान दे गया।
और!!!!!!कुछ यादें बिखर गई।
चवन्नी-अट्ठनी की वो उलझने,
यारो की दास्तान सुना गया।
वक्त की गूलक हाथ से फिसल पड़ी!!!!!!
और !!! कूछ यादे बिखर गई (२)
वो रुपया अपने आपे में कहां था।
दिल कि धड़कन आज भी बढ़ा गया❤️
और कुछ यादें बिखर गई।
समेट सारी यादें
वक्त कों दे आऊ!!!!!
और फ़िर अमीर हो जाऊ।
मेघा...

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# चाय भरा जीवन,🙋

##पहली बारिश 🌧️🌧️