रुख बदला सा है आज इन फिजाओं का।
रुख बदला सा है आज इन फिजाओं का।
मेरे तिरंगे पर हल्की हल्की सफेदी सी आई है।
लहरा के तू ने पूरे विश्व में,
वीर सपूतों की गाथा गाई है।
ना भूले हैं, ना भूलेंगे तेरी आजादी की तेरे स्वाभिमान की कीमत चुकाई है।
हर गलियों ,चौराहों पर गूंज उठी तेरी उचाई है।
अखंड भारत की हमने भी कसम खाई है।
तुम्हें लहरा हूं मैं आज बड़े मान और सम्मान से।
और गुनगुनाओ बड़े ही अभिमान से,
हर घर तिरंगा घर-घर तिरंगा
मेरी जान तिरंगा मेरी आन तिरंगा मेरी शान तिरंगा
हर घर तिरंगा घर-घर तिरंगा
भारत माता की जय
वंदे मातरम
मेघा....