Quotes by Gyaneshwar Anand Gyanesh in Bitesapp read free

Gyaneshwar Anand Gyanesh

Gyaneshwar Anand Gyanesh

@gyaneshwaranandgyanesh2661
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देश भक्ति पर दोहे"
रक्षा करना धर्म हुआ, मेरी माटी मेरा देश।
वीरों के बलिदान का, सबको दो संदेश।।

मातृभूमि की धूलि को, चन्दन जैसा मान।
बलिदानी रज धूलि का, करना है सम्मान ।।

चन्दन तिलक लगाइए, मस्तक का श्रृंगार।
नित नित प्रातः काल में, मस्तक तिलक उभार।।

खाईं जिसने गोलियां, फाँसी पर चढ़ पाय।
ऐसे वीरों को सदा, दिल से पूजा जाय।।

भारत की माटी करे, उस माँ का सम्मान।
जिसने मेरी आन में, भेजी निज संतान।।

दोहे सृजनकार
ज्ञानेश्वर आनन्द "ज्ञानेश" किरतपुरी
राजस्व एवं कर निरीक्षक

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रिश्तों की सच्चाई
कैसे बीतेगा जीवन अपनों की बेवफ़ाई में।
नींदें आती हैं कहां महबूब की तन्हाई में।।

कैसे बीतेगी यूं जिंदगी मुहोब्बत की बेवफ़ाई में।
नींद अब आती है कहां महबूब की तन्हाई में।।

इक-इक इंच धरती पर कैसे मां-जाए लड़ जाते हैं।
मोह माया में डूबे बैठे हो इस कलयुगी गहराई में।।

रिश्तों में अपना हिस्सा तो मांगकर देखिए "ज्ञानेश"।
हक़ीक़त नज़र आ जायेगी रिश्तों की सच्चाई में।।

ज्ञानेश्वर आनन्द ज्ञानेश किरतपुरी
कर एवं राजस्व निरीक्षक

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पुराने गीत सुनिए

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ग़ज़ल
अगर नफरत हो आपस में, तो फिर कंगाल है दुनिया।
मुहोब्बत है तो फिर क्या, फिर तो मालामाल है दुनिया।

बहुत जल्दी सुनो! धरती पे, फिर जन्मेंगें दशरथ वंश।
रावण राज से रावण, परेशाँ हाल है दुनिया।

वो जिस पर चढ़ते चढ़ते, लोग अक्सर गिरने लगते हैं।
सुनो ए जाँनशीं, वो जानलेवा ढ़ाल है दुनिया।

तू रब दे वास्ते सच्चाई दे रस्ते नू निकला है।
ओ यारा, गल ना करना तू ,के तोड्डे नाल है दुनिया।

जवानी में खुला, ये नर्क है , तो आंख भर आईं।
मियां बचपन में लगता था के नैनीताल है दुनिया।

हजारों साल से इन्सान, जिसमें फँसते आये है।
अमाँ ! ज्ञानेश्वर आनन्द ऐसा ज़ाल है दुनिया।।

ग़ज़लकार
ज्ञानेश्वर आनन्द ज्ञानेश किरतपुरी
राजस्व एवं कर निरीक्षक
स्वरचित ग़ज़ल

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#क़ाफिया#आकर
# रदीफ ➖ # देख लेते तो अच्छा था।
#विधा#पद्य_ग़ज़ल
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फऊलुन
१२२२ १२२२ १२२२ १२२

ग़ज़ल

मुझे अपना बनाकर, देख लेते तो अच्छा था।
प्यार दिल में सजाकर, देख लेते तो अच्छा था।।

खुलूसे मोहब्बत में दीदारे तलब है लेकिन ।
मुझे तुम आजमाकर देख लेते तो अच्छा था।।

कहां तुम्हें फुर्सत किसी का ख्याल दिल में लाएं।
ख़यालों में हमारे आकर देख लेते तो अच्छा था।।


सितम दिल पे जो ढाया है तुम्हें ये क्या मालुम।
सितम खुद पर भी ढाकर देख लेते तो अच्छा था।

दिलों में राज़ छूपाने से कुछ नहीं होगा।
हमें हमराज़ बनाकर देख लेते तो अच्छा था।।

हमारे बीच में "ज्ञानेश" कैसे बढ़ गई है ये दूरियां।
ग़लतफ़हमी मिटाकर देख लेते तो अच्छा था।।



ग़ज़लकार
ज्ञानेश्वर आनन्द "ज्ञानेश" किरतपुरी
राजस्व एवं कर निरीक्षक
स्वरचित एवं मौलिक रचना के
समस्त अधिकार मेरे पास सुरक्षित हैं।

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#क़ाफिया ➖ # आ
# रदीफ ➖ # जाए
#विधा#पद्य_ग़ज़ल
#मापनी ➖ # 2221 2221 2221

ग़ज़ल

रूह के चैन का रस्ता, भी निकाला जाए।
कैसे आदर हो पड़ोसी का, ये सोचा जाए।।

कैसे इस बात से दिल तेरी, ये सहमत हो जाए।
हुकुम ये है , के कोई ख्वाब , ना देखा जाए।।

रूबरु ना सही, नींदों में तो आने दीजै।
ख्वाब को ख्वाब में आने से न रोका जाए।।

तब कहीं फैसला देने की जसारत करना।
पहले झगड़े की बिना क्या है ये समझा जाए।।

मित्रता इसी को कहते हैं सुनो मित्र मेरे।
मित्र को मित्र की कोताही पे टोका जाए।।

थक के आया हूं सफर से मुझे पानी तो पिला।
इतना आराम तो दे ऐ-दोस्त के बोला जाए।।

रौशनी चाहिए हर घर में उजालों के लिए।
ज्ञान "ज्ञानेश" किताबों में ना रखा जाए।।

ग़ज़लकार
ज्ञानेश्वर आनंद "ज्ञानेश"
किरतपुर जिला बिजनौर।
9719677533
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