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Gurdeep Singh Sohal

Gurdeep Singh Sohal

@gurdeepsohal9965


काम की कमी महंगाई की मार।
तेल की आग करंट का झटका।
जीवन की गाड़ी चले तिरछी आड़ी।
बंदे को कैसे औंधे मुंह पटका।।
पेट काटा स्वाद लूटा रस छूटा।
भोजन की थाली में कुछ चटका।।
ऐसे वैसे जैसे तैसे भी पैसा मिले।
सारा का सारा सरकार ने गटका।।
सड़क पे नाका जेब पे है डाका।
सवारी को क्यूं मझधार में पटका।।
खाने में पाबंदी मयखाने में आनंदी।
भरेगा कभी तो कोरोना का मटका।।
कूलर का गर्म पानी पंखे का फर।
काम कैसे करे बिजली का खटका।।
भूल चिकन मीट बन शाकाहारी।
भाई रोज रोज क्यों लाना झटका।।
रेल मिली न लारी कोरोना है शिकारी।
सब जगत आवागमन में है भटका।।
कहै सोहल खर्चा कम कर ले; वरना।
आसमान से गिरा खजूर में अटका।।
गुरदीप सिंह सोहल
हनुमानगढ़ जंक्शन (राजस्थान)

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मैं हूं संभावित लाॅक डाउन पांच। बोले तो सम्पूर्ण तालाबंदी बोले तो सातों दिन चोबीसों घंटों की पाबन्दी।। ताला लगाकर चाबी समुद्र में फैंक दी। मेरा लाॅक इतना बड़ा है कि चाहूं तो मैं कभी भी किसी को भी किसी भी समय के लिए लाॅक कर सकता हूं मेरी आज्ञा के बिना कोई कुछ भी नहीं कर सकता। किसी किसी डैंजर जोन आईसोलेशन/क्वारंटाइन एरिया में ब्लाॅक डाउन या ब्लैक आउट हूं बोले तो कर्फ्यूग्रस्त क्षेत्र में फंसे हुए बेकार बैठे लोगों का गला घोंटना बोले तो चाॅक डाउन अंग्रेजी में बोले तो बासी और सूखी रोटी जो भी मिल जाए मुश्किल से निगल लो। बोले तो नोक झौंक डाउन घर में बैठ के फालतू बकबक करके टाईम पास करना।। बोले तो जौक डाउन लोड कर लो और चुटकुले सुन और सुना कर टाईम पास करो।। बिना रोक टोक टिक टाॅक डाउन लोड कर लो बोले तो वीडियो बनाकर लोड करते रहो ।। डण्डे और ठोकर से ठोक डाउन अभियान बोले तो पुलिस के पास डण्डे मार मार ठोक डाउन बोले तो नोक डाउन बोले तो भूखे मजदूर और गरीब को को भूख से ही मार गिराओ। डाॅक डाउन बोले तो सारे काम धन्धे बन्द करदो। नोक डाउन बोले तो गरीब और भूखे को मार गिराना बोले तो पाॅक डाउन बोले तो किसी न किसी के कोई न कोई उंगली करते रहना। भौंक डाउन बोले तो घर बैठे कुत्ते की तरह भौंकते रहो।। बाॅग डाउन बोले तो भूख के दलदल में धंस जाओ। माॅक डाउन बोले तो कभी कभी मजाक भी कर लिया करो यारो।। योक डाउन बोले तो दमनकारी नीति अपनाओ।। वाॅक डाउन बोले तो घर में ही जाॅगिंग का प्रबन्ध करो। शाक डाउन का मतलब शाकाहार अपनाओ अंग्रेजी में बोले तो शाॅक डाउन जोर का झटका धीरे धीरे लगाते रहो।। बोले तो हाॅक डाउन मतलब हालात पर बाज जैसी निगाह रखो बोले तो हाॅक डाउन बोले तो मौका देख के मुकर जाओ बोले तो नीचे उतर जाओ।। कहै सोहल सब कुछ डाउन बोले तो आना जाना बंद, हाथ मिलाना बंद एक दूजे से दो गज दूर रहना यहां तक कि गले मिलना भी बंद हर वक्त मास्क पहने रहना बार बार हाथ सैनेटाइज करते रहना।। अपने अपने ज्ञान के अनुसार जो जिसको जैसा समझ में आए समझ लो ए टू जेड सिर से लेकर पैर तक सब कुछ डाउन। क्लाॅक डाउन बोले तो इन सब डाउन की परवाह न की तो इस लोक में भी डाउन और उस ऊपर वाले लोक में भी डाउन यानि लोक और परलोक दोनो में डाउन हो जाएगा।
गुरदीप सिंह सोहल
हनुमानगढ़ जंक्शन {राजस्थान}

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सब हमले सब जुमले पीछे छूटे।
कोरोना को भूला टिड्डी का हल्ला।।
रोवे अन्नदाता भैंस गई पानी में।
लुट गई खेती चट हुआ गल्ला।।
घर छूटा फसल लूटी आस टूटी।
खाली तिजोरी कहां चाबी छल्ला।।
हर तरफ टिड्डी है टिड्डी का टल्ला।
कैसे बचे अन्न हुआ दाता झल्ला।।
जमीन गहने बैंक में जीना हराम।
फटे कपड़े घिसा जूते का तल्ला।।
पीपा बजा लो थाली खड़कालो।
होगा वही जो चाहेगा अल्लाह।।
उपकार नेकी कर कूएं में डाल।
आप मरे स्वर्ग मिले न बैठ नल्ला।।
मिला न सही दाम अन्नदाता को।
लूटे सिस्टम लटके सूना पल्ला।।
गर्मी सर्दी वर्षा ठण्ड में रोज मर।
नाच नाच दिखाता रह खल्ला।।
लूट ली तरकारी मिट्टी के मोल।
आलू प्याज बिके न करमकल्ला।।
रब रुठा सब छूटा रब बने मल्लाह।।
चिन्ता न कर सब ठीक हो जाएगा।
इंतजार कर करेंगे कुछ राम लल्ला।।
जोर का झटका धीरे धीरे से लगा।
लुट गया सब दांत बचा न कल्ला।।
फिर भी कुछ न बन पड़े युद्ध कर।
सोहल क्रिकेट खेल उठाले बल्ला।
गुरदीप सिंह सोहल
हनुमानगढ़ जंक्शन (राजस्थान )

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घर में रहें सुरक्षित रहें। कोरोना से रक्षित रहें।। योग करें आसन करें। एक मन एक चित रहें।। सेहत का पालन करें। कुछ लालायित रहें।। हैप्पी खुश प्रसन्न रहें। काम को समर्पित रहें।। वक्त गुजरेगा कैसे। इससे न चिन्तित रहें।। रोज का कार्यक्रम। कहीं अंकित करें।। पाठ करें पूजा करें। गीता ज्ञान पठित रहें।। धर्म कर्म चर्चा करें। वक्त बेवक्त पंडित रहें।। चिंता छोड़ो कल की। आज न कुपित रहें।। काल करे सो आज कर। कुछ भी न लम्बित रहे।। कहै सोहल प्रसन्न रहें। सदा आशान्वित रहें।। गुरदीप सिंह सोहल हनुमानगढ़ जंक्शन [ राजस्थान ]

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कोरोना बहुत वहशी हुआ। जिंदगी को इसने खा लिया।। वायरस बड़ा बेरहम हुआ। अच्छों अच्छों को ढा लिया।। मन की बात सुन ले भैया क्यों। पुलिस का डंडा खा लिया।। बाहर निकलो न बेमतलब। घर में ही कोई गीत गा लिया।। गर्म पानी पीया कर लगातार। रोग को बार बार थका लिया।। कोरोना को दूर दूर भगाकर। जिंदगी को फिर से पा लिया।। कहै सोहल हाथ धोते रहना। जब तब इसको छका लिया।। गुरदीप सिंह सोहल हनुमानगढ़ जंक्शन (राजस्थान)

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जानो, कोरोना का आना।
कितना फायदे मंद हुआ।।
कर न सका कुछ ये बंदा।
कोरोना का हुड़दंग हुआ।।
मैली गंगा भी चमचम हुई।
निकला पुराना गंद हुआ ।।
आसमान में चमके तारे।
गैसों का उड़ना मंद हुआ ।।
दूर गगन में दिखते परिंदे।
मन ये मौजी तुरंग हुआ।।
रिश्ते नाते सुधर गए सारे ।
जीने का मजा मृदंग हुआ।।
प्राणी तरसा था घर रहना ।
जीने का बढ़िया ढंग हुआ।।
खाना पीना बेहतर हो गया।
बिना दवा सेहतमंद हुआ।।
सुर ताल मिला बीवी से।
खाने में गाने का रंग हुआ।।
जलेबी समोसा खाना चाहा।
पर शूगर का काम बंद हुआ।।
नजर न आये कभी वो चेहरे।
जो कहें तेरा मेरा संग हुआ।।
नफा नुक्सान हर तरफ है।
काम बढ़ा कहीं मंद हुआ।।
थमा सफर कुछ कुछ सबका।
बातों का करना आरंभ हुआ।।
खाली दिमाग शैतान का घर।
कहावत का मान पतंग हुआ।।
कहां गए सब चमत्कारी बाबे।
सबसे अपना मोहभंग हुआ।।
इसने सो रहा गुर जगाया ।
दीप भी एहसानमंद हुआ ।।
याचक हूं उन सज्जनों से ।
जिनका तन मन तंग हुआ।।
मुझसे सहमत हो न सभी।
ये तगड़ा एक प्रसंग हुआ।।
कहै सोहल फायदे कई हुए।
और मुद्दों से ध्यान भंग हुआ।।
गुरदीप सिंह सोहल
हनुमानगढ़ जंक्शन (राजस्थान)

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चुनाव आयेंगे बार बार।
बूथ लूट, कर भ्रष्टाचार।।
रोज रोज बैठकें करना।
जब तक पट जाए यार।।
आम आदमी आप होगा।
सबका हो पूरा सत्कार।।
गधे को भी बाप बनाना।
भूल भुलाकर पूरी खार।।
साम दाम दंड भेद सूत्र।
जो लगावेगा बेड़ा पार।।
कोरोना केवल एक बार।
लाचार हुआ पूरा संसार।।
कोई नहीं बनता अपना।
कैसे हलका होगा भार।।
अब कोरोना की दहशत
जीवन हुआ तार तार।।
काम नहीं भोजन नहीं।
बढ़ रहा पापों का भार।।
साधन नहीं सफर नहीं।।
कैसे चलेगा जीवन यार।।
न कुछ तेरा सब है मेरा।
अब अपना ही घर बार।।
मंदिर छूटा रब भी रुठा।
कौन लगाये नैया पार।।
सब ने कान बंद किए।
अब कैसे करे पुकार।।
सियासत सर मैला हुआ।
एक भैंस करे विचार।।
कोई बतावै जन्नत कैसी।
आप मर पावे हरिद्वार।।
कहत सोहल कुछ कर।
किस्मत बदले तलवार।।
गुरदीप सिंह सोहल
हनुमानगढ़ जंक्शन (राजस्थान)

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कोरोना ने ये हालत बनाई।
जनता मर मर करे दुहाई।।
लाॅकडाउन का पालन करो।
घर में बैठो बहन और भाई।।
पुलिस का डण्डा काम करे।
काम आये डाक्टर न दवाई।।
कोरोना से बचके रहना जी।
बाद में काम न आवे भाई।।
उपचार से बचाव अच्छा है।
बुलाओ घर में नर्स व दाई।।
अखबार पढ़ो टी वी देखो।
लगाओ मेज कुर्सी तिपाई।
चाय पी लो नाश्ता कर लो।
ब्रैड पकौड़ा घी जैम मलाई।।
पूरा परिवार बैठ के खाओ।
बिछाओ केवल एक चटाई।।
काम धन्धा बेपटरी हो रहा।
मेहनताना मिला न कमाई।।
खेती बाड़ी लुट गई सारी।
गल्ला गुल्लक इसने घटाई।।
बाजार गए न सिनेमा देखा।
अर्सा हुआ कचौरी भी खाई।।
रिश्ते नाते लटक गए सारे।
पता नहीं कब बजे शहनाई।।
बच्चे करते शरारत घर में ।
स्कूल देते आॅनलाइन पढ़ाई।।
बर्तन चौका झाड़ू पौंछा।
कुल मिला के पूरी सफाई।।
ये कर दो वो सब कर दो।
तले बिन तेल बिन कढ़ाई।।
सोचा साफ मना कर दूं।
द्रोपदी जैसे कराये लड़ाई।।
टालमटोल भी कर न सकूं।
चलती नहीं कोई चतुराई।।
आराम न करने दे दो घड़ी।
घर मे जान खाती लुगाई।।
बंदा बना नौकर बीवी का।
आती नहीं कामवाली बाई।।
बावा जी बने केश बढ़ाए।
हजामत की न मिला नाई।।
घर में पूजा कर लेते भाई।
तन मन में मंदिर ले बनाई।।
सभी देवियां घर में आई।
चण्डी काली पारबती माई।।
सोहल पूरा लाॅक हो जाता।
घर में करले भूरे बाल डाई।।
गुरदीप सिंह सोहल
हनुमानगढ़ जंक्शन (राजस्थान)

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